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बस फ़र्ज़ निभाता चल तू सूए जहाँ मत देख.
Hindi Poetry |
मफहूम समझ मेरा अंदाज़े बयां मत देख.
रख मान उजाले का तू सिर्फ धुंआ मत देख. मफहूम-आशय अंदाज़े बयां-अभिव्यक्ति की शैली
ये प्यार का सौदा है इसमें न गणित चलती,
महसूस इसे दिल से अब सूदो ज़ियाँ मत देख. सूदो ज़ियाँ-लाभ हानि
जिस राह पे चल निकला, दुश्वार शुरू से है,
बन खिज्र बज़ाते खुद अब राहनुमा मत देख khizr-raah dikhane vala farishta,b zaate khud-svayam
कीमत न समझते हैं ये लोग,न समझेंगे,
बस फ़र्ज़ निभाता चल तू सूए जहाँ मत देख.
सूए जहां-दुनिया की ओर
ये प्यार का पौधा है,जो दिल में पनपता है,
दुनिया के पठारों पर मिलना न,वहां मत देख
इस कारे जहां में कुछ समझौते भी लाजिम हैं,
यूँ मेरी गिरावट को अल्लाह मियाँ मत देख. कारे जहां-सांसारिक प्रपंच
नफरत की निगाहों में कुछ बात तो होती है,
हैरां हो शहर भर के जलने का समा मत देख.
” इस कारे जहां में कुछ समझौते भी लाजिम हैं,
यूँ मेरी गिरावट को अल्लाह मियाँ मत देख. ” Behetreen Sher
@SAMAR, thanks.
बहुत बढ़िया और अर्थपूर्ण
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सब कुछ बुरा दिखाते ना शर्म ना गम इनको
बुजुर्ग चल बसे कह ऐसा बयाँ मत देख