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बस फ़र्ज़ निभाता चल तू सूए जहाँ मत देख.

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Hindi Poetry

मफहूम समझ मेरा अंदाज़े बयां  मत देख.
रख मान उजाले का तू सिर्फ धुंआ मत देख.  मफहूम-आशय अंदाज़े बयां-अभिव्यक्ति की शैली 

ये प्यार का सौदा है इसमें न गणित चलती,
महसूस इसे दिल से अब सूदो ज़ियाँ मत देख.   सूदो ज़ियाँ-लाभ हानि 

जिस राह पे चल निकला, दुश्वार शुरू से है,
बन खिज्र बज़ाते खुद अब राहनुमा मत देख      khizr-raah dikhane vala farishta,b zaate khud-svayam 


कीमत न समझते हैं ये लोग,न समझेंगे,
बस फ़र्ज़ निभाता चल तू सूए जहाँ मत देख.
                                                                                                              सूए जहां-दुनिया की ओर

ये प्यार का पौधा है,जो दिल में पनपता है,
दुनिया के पठारों पर मिलना न,वहां मत देख 

इस कारे जहां में कुछ समझौते भी लाजिम हैं,
यूँ मेरी गिरावट को अल्लाह मियाँ मत देख.   कारे जहां-सांसारिक प्रपंच 

नफरत की निगाहों में कुछ बात तो होती है,
हैरां हो शहर भर के जलने का समा मत देख.

3 Comments

  1. SAMAR says:

    ” इस कारे जहां में कुछ समझौते भी लाजिम हैं,
    यूँ मेरी गिरावट को अल्लाह मियाँ मत देख. ” Behetreen Sher

  2. Vishvnand says:

    बहुत बढ़िया और अर्थपूर्ण

    About TV & Media
    सब कुछ बुरा दिखाते ना शर्म ना गम इनको
    बुजुर्ग चल बसे कह ऐसा बयाँ मत देख

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