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” असाधारण नारियाँ “

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Hindi Poetry, March 2012 Contest
     
 
              ” असाधारण नारियाँ
 
 
 
तुलनीय स्नेह से परिपूर्ण है नारी ,
सादगी,त्याग और सहनशीलता की मूरत है नारी !
धारा-सी रिश्तों को एकसाथ बांधे हुए बहती है नारी ,
ब के समान नवजीवन की जननी है वो नारी !
मोकार और गायत्री मन्त्रों-सी पावनता लिए कभी तो 
नाश करती है दुष्टों का वो माँ दुर्गा बनकर कभी !
रिश्तों को एक माला में पिरोए रखती है नारी ,
या फिर ये कहें कि हर नारी में छिपी है एक असाधारण नारी !
 
   – सोनल पंवार    

6 Comments

  1. Vishvnand says:

    सुन्दर अर्थपूर्ण मनभावन रचना
    हिंदी में acrostic कविता लिखना कठिन है
    जिसका आपने सुन्दर सुहावना प्रयास किया है
    रचना और प्रयास दोनों के लिए हार्दिक बधाई
    Commends

  2. santosh bhauwala says:

    छोटी सी पर अर्थ पूर्ण रचना !!!congrates

  3. Reetesh Sabr says:

    बहुत कलापूर्ण और अनूठी! असाधारण कर्मों से प्रशस्ति भले ही कितनी भी ऊंचाइयां छुए, नारी का साधारण रूप भी कम असाधारण नहीं!!!

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