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” असाधारण नारियाँ “
Hindi Poetry, March 2012 Contest |
” असाधारण नारियाँ “
अतुलनीय स्नेह से परिपूर्ण है नारी ,
सादगी,त्याग और सहनशीलता की मूरत है नारी !
धारा-सी रिश्तों को एकसाथ बांधे हुए बहती है नारी ,
रब के समान नवजीवन की जननी है वो नारी !
णमोकार और गायत्री मन्त्रों-सी पावनता लिए कभी तो
नाश करती है दुष्टों का वो माँ दुर्गा बनकर कभी !
रिश्तों को एक माला में पिरोए रखती है नारी ,
या फिर ये कहें कि हर नारी में छिपी है एक असाधारण नारी !
– सोनल पंवार
सुन्दर अर्थपूर्ण मनभावन रचना
हिंदी में acrostic कविता लिखना कठिन है
जिसका आपने सुन्दर सुहावना प्रयास किया है
रचना और प्रयास दोनों के लिए हार्दिक बधाई
Commends
@Vishvnand, Thank u so much sir for ur appreciation.
regards
sonal.
छोटी सी पर अर्थ पूर्ण रचना !!!congrates
@santosh bhauwala, Thank u very much.
बहुत कलापूर्ण और अनूठी! असाधारण कर्मों से प्रशस्ति भले ही कितनी भी ऊंचाइयां छुए, नारी का साधारण रूप भी कम असाधारण नहीं!!!
@Reetesh Sabr, Thanx.