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कि पहले जाएँ ज़रा दिल से दिल के तार तो मिल.
Hindi Poetry |
बमिस्ले वजहे मसर्रत कभी कभार तो मिल.
कभी जो वस्ल की खातिर हो बेक़रार तो मिल.
इस इन्तिज़ार का अंजाम भी कभी तो मिले,
तू एक रोज़ मुझे आ के मेरे यार तो मिल.
न सब्ज़ शाख हुई फिर न वैसे फूल खिले,
चमन को फिर से अगरचे गयी बहार तो मिल.
किसी में प्यार का ऐसा जुनूं न पाओगे,
तुम्हे जहान में जायेंगे जां निसार तो मिल.
विसाले यार में हाइल है,हो कोई परदा,
हरेक हिजाब तू पाए अगर उतार तो मिल.
मुहाफ़िज़ों के हिसारों में क़ैद है तू तो,
कभी न पाएंगे तुझसे ये दिल फिगार तो मिल.
ज़रूर फूटेंगे उल्फत के नग्माये शीरीं
कि पहले जाएँ ज़रा दिल से दिल के तार तो मिल.