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न दिल का जिक्र न दीवानगी की बात करो.
Hindi Poetry |
न दिल का जिक्र, न दीवानगी की बात करो.
वो कहते दर्द छिपाओ हंसी की बात करो.
किसी नज़र में उमंगें, न वलवले, न ललक
यहाँ पे कैसे भला ज़िन्दगी की बात करो.
जब उसका जिक्र छिड़े ज़ख्म हो उठें ताज़ा,
बजा ये होगा किसी अजनबी की बात करो.
बहुत हुई ये गुलों, बुलबुलों की अक्कासी ,
सुखन फरोशों कभी आदमी की बात करो.
तेरे जमाल का चर्चा करें भी हम क्योंकर,
है हुक्म सिर्फ यहाँ सादगी की बात करो.
हरेक रुख में तो उसका ही रंग है अक्सां,
खुदी की बात करो, बेखुदी की बात करो..
हटाओ बात परे सब फ़िज़ूल दुनिया की,
चुराए दिल जो उसी नाजनीं की बात करो.