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“प्रेम दीवानी”
Hindi Poetry |
“प्रेम दीवानी”
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तर्ज : लता मंगेशकर का गीत “ना मैं जानूं आरती वंदन,
ना पूजा की रीत, मैं अनजानी प्रेम दीवानी, मेरी
पागल प्रीत” …….
(ब्रज भाषा)
प्रेम दीवानी: —-
नाम मैं मानू प्यार को बंधन, ना दूजो कोई मीत,
मैं अनजानी, हूँ दीवानी, मोरो मरद गयो है खोय !
पकड़ लियो मैंने जकड़ लियो तोये पीठ के पीछे होय !
अनजाना —–
जो मैं ऐसो जानतो, पीठ के पीछे कोय,
पलट के झट मैं देखतो, कौन वो लम्पट होय !
कौन है तू जाने जकड़ लियो मोय, सुध-बुध गई मोरी खोय,
सामने आ झट जो भी हो तू, ताकि मैं जानू तोय !
प्रेम दीवानी —
अरे रे मैं तो एकली लुगाई, मोरो मरद गयो है खोय,
मैं अनजानी, हूँ दीवानी, मोरी उड़ ही गई है नींद,
ग़लति हुई मोरी, समझ के बलमा,
पीछे से जकड़ लियो तोय !
मोरो मरद गयो है खोय !
अरे रे मैं तो एकली लुगाई, मोरो मरद गयो है खोय !
पागल की मति पागल जाणे, और न जाणे कोय,
मीरा के प्रभु नटखट नटवर, सोई सनमसम होय,
मोरो मरद गयो है खोय !
अरे रे मैं तो एकली लुगाई, मोरो मरद गयो है खोय !
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