« रंग डालो तो वही अब रंग डालो प्रिय. | The Goddess » |
होली के रंग
Hindi Poetry |
इन्द्रधनुषी रंगों भरी पिचकारी
लगे सभी को मनोहारी
होली की स्वादिष्ट गुझिया
लुभाय रही जिया
आप सभी की कविता की बौछार
बहा गई रंगों की धार
सप्त रंगों की उड़ाय गई
गुलाल और अबीर
प्रीत के दिन आये याद फिर से आज
मुदित मन नाच रहा आज
होली पर हुलसाय रहा हिया
देखो कैसा मचल रहा जिया
होली में समस्त इर्ष्या द्वेष विकार
दिए अग्नि में झोंक
भली लगे राधा माधव की प्रीती
प्यार की नोक झोंक
व्रज में मची जो महारास
बनी होली की रीत
रंगों से थाल सजाएँ मिल कर
होली का धमाल मचा रहे मीत
इन्द्रधनुषी रंगों से सजे होली p4poetry परिवार की
झांझ मंजीरे की गूंज पर सर्वत्र बहे लहर प्यार की
कविता की सरिता उमड़े , नित हमारे आँगन में
गुलाल और अबीर से हो सराबोर,शुभेक्षा यही दिल की
आप सभी को मेरी ओर से होली की अनेको शुभकामनाएं!!!!!!
संतोष भाऊवाला
Rango ki pichkaari kavitaa lagi hai pyaari
आदरणीय विवेक जी ,बहुत बहुत आभार !!!,
बहुत खूब
हार्दिक बधाई बहुत प्यारी होली के रंगों भरी आपकी है ये रचना
और p4poetry पर सदा छाई रहे यही उत्साही उत्सव की भावना
यही आपके साथ हमसब की भी है हार्दिक शुभकामना
आदरणीय विश्वनाथ जी ,आप सभी का आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे आभार !!!
manohaari
आदरणीय सिद्धनाथ जी,बहुत बहुत आभार !!!