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असाधारण नारियां
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry, March 2012 Contest |
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो………….
असाधारण का दर्द जानकी से पूछो,
जिन्हें साक्षात् विष्णु जी ने अपनाया था,
करने रावन का उद्धार,बिचौलिया सीता को बनाया था,
वो जानते थे,
की उनका एक एक शब्द पत्थर की लकीर हो जायेगा,
मर्यादा के नाम पे, सच को फांसी चढ़ाया जायेगा,
वो चाहते तो सबके सामने भी अग्नि से अपनी पत्नी मांग सकते थे,
लेकिन नहीं, `
मानव योनी के नाम पे ये कैसा स्वांग रचाया,
पवित्रता के नाम पे उन्होंने सीता को ही अग्नि वेदी चढ़ाया,
और जनम जनम की संगिनी को बार बार वनवास पहुँचाया,
मेरी विनती है हे आज के राम जी,
की या तो ऐसी कठिन रीत न बनाओ,
और बना ही ली है तो अपनी प्राण प्रिय को अपने साथ ही रहने दो,
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो……….
असाधारण तो राधा भी थी,
जिसने प्रेम की अनोखी रीत निभाई थी,
विरह के ताप के साथ, दुनिया से ली विदाई थी,
जो बंसी की धुन पे नंगे पैर दौड़ आती थी,
कान्हा के नाम पे लोक लाज भी छोड़ जाती थी,
पर क्या किया छलिये ने, ये कैसा प्रेम निभाया,
कर्तव्य के नाम पर, विरह का रास्ता दिखाया,
भूल के राधा के दर्द को, रुक्मणी संग विवाह रचाया,
आज भी तुम्हारे नाम पर हे कान्हा राधा रोज चली आती है,
जानती है गोपियों और रुक्मणी को भी फिर भी प्रेम में छली जाती है,
विरह में ही सही, उसे सुकून से तो रहनो दो,
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो………..
इस कड़ी में द्रौपदी का नाम भी आता है,
दुनिया के हर महाभारत में जिसके नाम का खाता है,
जो पांचाली, धर्म के नाम पर हो गई,
एक के प्रेम की आस में,
खुद अपने से ही खो गयी,
कहने को पांच पति थे,
पर उसके लिए कोई एक न आगे आया,
हर एक ने अपना व्यक्तिगत, दूजा विवाह रचाया,
इतना ही बस है युधिष्ठिर जी,
कम से कम उसे दांव पे तो मत लगाओ,
आबरू तो बाँट दी, वस्त्र तो तन पे रहने दो,
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो………….
ये तो केवल प्रेम का सन्दर्भ था,
जिसमे तब से लेकर आजतक,
कभी पवित्रता, तो कभी प्रेम,
कभी धर्म तो कभी क्षेम,
सब कुछ………. सीता, राधा या द्रौपदी के ही हिस्से आता है,
हर एक विपरीत पल, इन्ही के भाग्य सजाता है,
अब बस भी करो, इतिहास की इस धारा को बार बार न बहने दो,
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो ||
सच, अति सुन्दर, गहन मार्मिक असाधारण है ये उत्कृष्ट रचना
आसां नहीं ऐसी मनभावन प्रभावी रचना की प्रशंसा करना
बहुत खूब लिखा है, हार्दिक अभिवादन
मानता हूँ साधारण नारियां ही हैं इक असाधारण व्यक्तिमत्व
असाधारण नारियां इसलिए हो जातीं भगवान् का ही स्वरुप
रचना को शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद…..
@Vishvnand, धन्यवाद सर
आज तो मैं भी बहुत खुश हूँ इस रचना से,जब कोई कविता लिखती हूँ तो लिखने के बाद सोचती हूँ ये मैंने ही लिखी है? और जब कई दिनों तक नहीं लिखती तो लगता है की लिखना भूल गई हूँ | और जब फिर से लिखती हूँ तब जान-में-जान आती है |एक बार फिर से धन्यवाद सर |
बेहिसाब लाज़वाव रचना
@sahil, हार्दिक धन्यवाद |
jhakjhorti hui rachna.
@s.n.singh, shukriya sir .
अन्नाजी ने लहर चलाई हुई है जोश की कुछ असर तो होगा ही .
Kshipra,
Enjoyed reading your unusual view point regarding these unique women in mythology .
But I still think that they are immortalised for their gutsy boldness & bravery though confronted and challenged by supermen , demi-gods & even demons.
Hats off to them.
Kusum
@kusumgokarn, Dear Kusum, I agree that these unique women are immortalised but you are not feeling what our society have taken from there lives. I feel they were immortalised not for there gutsy or boldness bravery but for there relation to or as a position of Goddess. Every women have guts and boldness that is why our society still expecting us to accept exploitation taking examples from our Mythology.
waah bahna —very true….sabko seeta jaisi biwi chahiye….jhansi ki raani jaisi nahi….
अच्छी रचना !! परन्तु नारी के ये गुण उसकी धरोहर है , जो उसे असाधारण बनाते है, जिसके आगे इश्वर भी खुद नतमस्तक हैI कहते हैं ना, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है!!!
संतोष भाऊवाला
@Santosh Bhauwala, माफ़ कीजियेगा संतोषजी पर कृपया कविता एक बार फिर पढ़िए |मैंने उन नारियों या उनके गुणों पर संदेह नहीं किया है |मैं तो वर्तमान में उन सन्दर्भों को गलत तरीके से अपनाने पर खफा हूँ |रही बात गुणों की तो मेरी विनती है आपसे किसी नारी के चरित्र को बिना सोचे समझे उछलने, टूटकर प्यार करने वाली के अकेले रह जाने,और अंधे होकर प्यार करने का विरोध कीजिये,न की बढ़ावा |अगर कुछ गलत कह गई तो माफ़ी चाहती हूँ |
अब बस भी करो, इतिहास की इस धारा को बार बार न बहने दो,
मत कहो उन्हें असाधारण , साधारण ही रहने दो ||
Sunder rachna.
@sonal, thankyou sonalji .
thankyou sonalji.
Hi….
I guess i am late like always,,,,,,, par tu to badi chhayi hiu h yaar….guru gud hi rah haye…chele cheeni ho gaye h…..but how cud u forget Urmila ( Laxman’s wife)… wo to seeta se jyada asadharan thi….seeta ne pati ke sath rahne ke liye sab bhulaya,,,,,but look at the sacrifice of urmila….14 years….without husband….she wasted her youth just for his hubby’s sake!!
I wrote smthing for as well ….wud share if i have tym….goodluck…by the way….good shot!!!
@Shruti Bhardwaj, कोई नयी बात तो है नहीं | आशा करती हूँ आप इसी जन्म में अपनी कृति पढ़ने का अवसर प्रदान करेंगी | वेसे अपना कीमती वक़्त देने का बहुत-२ शुक्रिया |मैं तहे दिल से आपकी आभारी हूँ |
I tried to read this work. Because of my poor knowledge of Hindi, i could not more than few lines. I will be very grateful, if any of the other poets can translate this work in to English.
@anuradha, Dear Anuradha very very thanks for the interest in my Poem. I will definitely try to translate the poem in English but It will just get you understand its meaning or it may loose its poetic lyrics. As I am appearing in some examination so you have to wait little bit for it, sorry for that. You may also provide me your email id so whenever I translate it I will send the translation on your email id. Thanks again
Bahut sundar rachanaa puntat moulikata liye
@rajendra sharma’vivek’, very very thanks
बहुत सुंदर रचना. मन भाई. बधाई.
@Jaspal Kaur, आपका हार्दिक धन्यवाद |
बहुत दिनों बाद इतनी सुन्दर रचना पढी. क्षिप्रा जी मेरी हार्दिक बधाइयां स्वीकार करें. बड़ी मार्मिकता से आपने असाधारण कहलाने वाली नारी की व्यथा वर्णित की है.
बधाई!
@sudha goel, शुक्रिया सुधा जी |दिल से धन्यवाद ,मैं हमेशा से मानती हूँ की हर लेखक ,कलाकार का असल मेहनताना उसकी कृति के बदले मिलने वाली वाह-वाही ही है |
बहुत सुन्दर, दर्द भरा व्यंग है| नारी को एक pedestal पर बिठाने के लिए विभिन्न तरीकों से शोषण करता रहा है यह समाज, पर शायद अब स्त्री ही जागरूक हो और इस चक्र से बाहर आये! बहुत खूब, अति शक्तिशाली रचना!
@parminder, शुक्रिया परमिंदरजी | मैं तो एक कोशिश भर कर पाई हूँ असल रास्ता बहुत बीहड़ और खतरनाक है | खैर…
गुल हो मगर न खार हो,एसा नहीं होता
इस जहाँ में केवल प्यार हो,एसा नहीं होता |
नाकामियाँ भी दिखाती है इंसान को कई राहें
हरदम मगर हार हो ,एसा नहीं होता ||
बहुत बढ़िया ….
hello….i promised this..so here it is!!! isi janam me aap meri kriti padh rahi h…simple couplets h…with free use of language…but cud not leave urmila ignored!!
“Jag ne dekhaa prem siya ka
Ki nange pairo doli thi.
Parde ke peechhe urmi h
Jo ek shabd na boli thi !!
Siy boli yu ramchandra se
Ki tum bin jee naa paaungi.
Mahal lagenge kabro jaise
Kaise rain beetaaungi !!
Aur urmi ne apne sir rakh li
Kartavyo ki gaanthe thi
Saas sasur ki sevaa karti
Mook badhir din kaate thi !!
Siya ne khaaye kand mool wo
Jo raam hi chunke laate the
Urmi ke hisse aaswaadan
Jo pati ko mil na paate the !!
Kush ki shaiyya bun ke nit din
Siya raghu sang soti thi
Aur apne makhmal pe urmi
Pahro pahro roti thi !!
Ek din har li raavan ne seetaa
To bhagvan bhi bauraye the..
“dekhi meri seeta tumne??”
Yu phoolo se batiyaye the!!
Chita hi dhar li seeta ne apni
Ki raghu bin jee na paungi
Aur urmi is aas me jinda
Ki piy darshan kab paungi ??
Siya ke hisse raghu ki sangat
Urmi ke hisse kaante the.
Yaad pati ko kar ke pal pal
Yu chaudah baras wo kaate the…..!!!
soory i dint know how to type in hindi…
जग ने देखा प्रेम सिया का
की नंगे पैरो डोली थी!!
परदे के पीछे उर्मी ह …
जो एक शब्द न बोली थी!!
सिय बोली यु रामचंद्र से
की तुम बन जी न पाऊँगी…
महल लगेंगे कब्रों जैसे
कैसे रैन बिताउंगी !!
और उर्मी ने अपने सर रख ली
कर्तव्यों की गांठें थी
सास ससुर की सेवा करती
मूक बधिर दिन काटे थी…!!
सिया ने खाए कंद मूल जो
राम ही चुन के लाते थे…
उर्मी के हिस्से आस्वादन
जो पति को मिल न पाते थे !!
कुश की शैय्या बुन के नित दिन
सिया रघु संग सोती थी…
और अपने मखमल पे उर्मी
पहरों पहरों रोती थी..!!
एक दिन हर ली रावण ने सीता
तो भगवन भी बौराए थे…
“देखि मेरी सीता तुमने???”
यूँ फूलों से बतियाये थे..!!
चिता ही धर ली सीता ने अपनी
की रघु बिन जी न पाऊँगी…
और उर्मी इस आस में जिन्दा
की पिय दर्शन कब पाऊँगी??
सिया की हिस्से रघु की संगत
उर्मी की हिस्से कांटे थे…
याद पति को कर के पल पल
यूँ चौदह बरस वो काटे थे…!!!!
@Shruti Bhardwaj, रुला दिया बहन मेरी ,you are the best .और हमेशा रहेगी,
बहुत खूब विचार हैं आपके- ज्वलंत व् विचाराकुल