मुझे हिंदी कविताएँ (विशेषकर हास्य) लिखना बेहद पसंद है और अपने इस लेखन के सफर में मैंने काव्य के अनेक रूप जैसे कविता, गज़ल, गीत एवं कव्वाली इत्यादि लिखे हैं मगर अभी भी मेरी कोई पहचान नहीं है सिवाय मेरे परिवार एवं कुछ सबंधियों तथा मित्रों को छोड़कर। मुझे लगता है कि आज के व्यस्त जीवन में दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना बहुत कठिन है और मैं इसी का प्रयास कर रहा हूँ। आप सभी मेरी रचनाओं को पढ़कर कोई न कोई टिप्पणी चाहे वह नकारात्मक ही क्यों न हो, अवश्य दें जिससे मुझे अपने लेखन से खर-पतवार ढूँढने में सहायता मिल सके और मैं आपके समक्ष अपने लेखन का नित नया स्वरूप रख सकूँ।
मेरी सभी रचनाओं का आनंद आप मेरे ब्लॉग में ले सकते हैं जिसका पता है – http://kavisushiljoshi.blogspot.com/
Sushil Joshi has written 216 poems. Visit Poet Page: Sushil Joshi
Kho gai bhavanaaye shilp ke parivaar me
khulkar bole n ab tak gaaye kyaa
shrigaar me
hiy me Hal-chal machi hai saty
me kisko ruchi hai
shubh kamnaaye de rahe hai kaavy ke sansaar me
मस्त लगी
बेकरारी झेलना पड़ती है ऐसी राह में
इतनी क्या जल्दी है तुमको प्यार में
@Vishvnand, हार्दिक धन्यवाद विश्वानंद जी….
Kho gai bhavanaaye shilp ke parivaar me
khulkar bole n ab tak gaaye kyaa
shrigaar me
hiy me Hal-chal machi hai saty
me kisko ruchi hai
shubh kamnaaye de rahe hai kaavy ke sansaar me
@Rajendra sharma”vivek”, शुभकामनाओँ के लिए धन्यवाद राजेन्द्र जी….
उम्दा 🙂
@Aditya !, आभार आदित्य जी…