« जनता जाए भाड़ में | S E C U R I T Y ….! » |
“तोता-मैना”
Hindi Poetry |
“तोता-मैना”
~~~~~~~~~
कोई न जिसके ध्यान में,
जो रहता नहीं है आन में !
जंग लगी शमशीर पड़ी ज्यों
पुरातन मैली सी म्यान में !
दरवाज़े की खटखटाहट
सुनाई नहिं देती कान में !
टीवी पर मूवी है चल रही,
हैं देख रहे मीयां-बीबी !
संतानें हैं दूर रह रहीं,
रिश्तों से नहीं क़रीबी !
उम्र का अंतिम पड़ाव है,
अर्धरात्रि जीवन की,
धन ही धन का बढाव है,
चाहे बात नहीं हो मन की !
कच्चे धागे पर चले जा रहे,
जो कभी अचानक टूटेगा,
पता नहीं संचित धन को,
फिर कौन आके तब लूटेगा ?
घड़ा पाप को भरा है जो,
नश्चित ही इक दिन फूटेगा,
अंत काल में फबक फबकता
फिर व्यर्थ में छाती कूटेगा !
बहुधा देखने में आया कि
जो कृपणता से रहता,
इक दिन उसका संचित धन,
अंत में पानीसम बहता !
लम्बी बीमारी में, व्यर्थ की दावेदारी में,
बंदिश में, रंजिश में या शेयर बाजारी में,
प्रेम-प्यार के चक्कर में
या प्रकृति से टक्कर में !
लालच भरी इच्छा न करो,
स्वाभाविकता से संतुष्ट रहो,
जीवन में सत्कर्म करो
अरु नहीं किसी से रुष्ट रहो !
मानव जीवन का सार यही है
जिससे पुनर्जन्म उत्तम होगा,
त्रुटियाँ जाने अनजाने में रहीं हैं
उनका सत्कर्मों से शमन होगा !
*********
Ashwiniji,
Very good and sound advice worth following.
Kusum
@kusumgokarn, Heartiest
thanks !
सुन्दर अर्थपूर्ण रचना
जीवन को समृद्ध बनाना
“लालच भरी इच्छा न करो,
स्वाभाविकता से संतुष्ट रहो,
जीवन में सत्कर्म करो
अरु नहीं किसी से रुष्ट रहो !”
सीधी सुन्दर बात ये
कठिन बनी क्यूँ आज है
दन्द फन्द से जीना क्यूँ
आज हुआ घरबार है
अपना culture भूल गए
western culture का उपहार है
@vishvnand,साभार धन्यवाद !
यथार्थ पे सुसन्द्र कटाक्ष-वर्तमान को पुरातन की सुंदर सौगात-अगर माने तो-सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सर जी
@sushil sarna,
यथार्थ पे सुंदर कटाक्ष-वर्तमान को पुरातन की सुंदर सौगात-अगर माने तो-सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई सर जी
घड़ा पाप का भरा हुआ जो,
निश्चित ही इक दिन फूटेगा !!
अंतकाल में फबक-फबकता,
फिर व्यर्थ में छाती-“कूटेगा” !!
बहुत ही बेहतर ढँग से एक अच्छी बात
समझाने के लिए आपका आभार……….!!
जाग ले अब भी समय है,
वरना बुरी तरह तू टूटेगा !!
सुधार ले अपने कर्मों को,
तू जनम-मरण से छूटेगा !!