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“निंदिया टूट गई जब आज”
Hindi Poetry |
“निंदिया टूट गई जब आज”
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अर्धरात्रि के लगभग २ बज रहे हैं अभी,
बस्ती है सुनसान और सोये हुए हैं सभी !
टूट गई मेरी निंदिया एकाएक अभी अभी,
स्वप्न में मैं देख रहा था बैठे हैं वो ज्योतिषी,
जिनसे मिलन हुआ था मेरा २० वर्ष पहले कभी !
देख रहे थे हस्त-पंक्तियाँ वो बारी बारी से सबकी,
भूत-भविष्य वो बता रहे थे लेते हुए तनिक झपकी !
मैंने उनसे प्रश्न किया था मेरा अंतिम दिन बतलाने का,
नकारात्मक उत्तर था उनका ऐसा कुछ जतलाने का !
मेरे दुराग्रह करते रहने पर मेरे कान में धीरे से वो बोले,
“वर्ष ७७ वाँ होगा मेरे अन्तकाल का दु:खद वर्ष, भोले !
यही है मेरी हस्त-पंक्तियों में भरा संभावित निष्कर्ष,
तब तक करते रहो संघर्ष सहर्ष जब तक आए ७७ वाँ वर्ष” !
१४ मार्च, १९३६ ई० है मेरी जन्म-तिथि अभिलेख में,
तदनुसार वर्ष ७७ वाँ मेरा चल रहा अंतिम परिवेश में !
माह दिसंबर इस वर्ष का इस धरती का विनाशक है,
ऐसी भविष्य-वाणी का कोई पंडित ही अभिभाषक है !
राशिफल और भविष्य-वाणियों में मेरा विश्वास नहीं,
क्यों कि अनेकानेक ऐसी ही वाणियाँ फलीभूत नहीं रहीं !
प्रकृति ने स्वाभाविकता दी ऐसी जो जीवन पर हावी रहती,
भय अरु भ्रम मन में छा जाता जब अंत की कुंठा रहती !
आस्तिक हो या नास्तिक, ऐसी भ्रान्ति से होता भयभीत,
चाहे दिखावे में बने साहसी, हो जाता दुर्बल व विनीत !
एक बात लाभकर होती इससे कि पुण्य-कर्म वह अपनाता,
दुष्कर्मों से दूरी रखकर उनको किसी भाँति है दफनाता !
जीवन-मरण का चक्र है अन्धकार में चलता पहिया,
करते रहो सत्कर्म सतत, फल की न करो चिंता भैया !
नींद अचानक टूट गई तो मेरी विस्मृतियाँ प्रकट हुईं,
सुनसान में एकाकी होने से काव्य-कलश में बढ़त हुई !
गत २० वर्षों में मेरा जीवन सतत निखरता चला गया,
कुपथ का हंडा फूट कर पावन-गंगा में बिखरता गया !
चिंता नहीं अंत की है अब मेरा भरा-भला परिवार है,
तीन पुत्र हैं, एक है पुत्री जिनका जीवन भी सपरिवार है !
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विषय पर सुन्दर कथन और वर्णन
Wish you many many years of long happy healthy active life full & fulfilling in your passion for poetry.till the very end.
मुझे मेरे इक पुराने रचे गीत की याद आ गयी
” मरना इक सत जीवन का तो मरने से क्या डरना
गर प्रभु चिंतन में रहकर और प्रभु का काम समझ कर
तूने काम किया सब अपना “
@Vishvnand,हार्दिक धन्यवाद !
@ashwini kumar goswami ,
विषय पर आपकी यह अर्थपूर्ण रचना पढ़ मैं मेरा यह पुराना गीत ” मरने से क्या डरना ” इसके नए पॉडकास्ट में गाकर पोस्ट करने प्रवृत हो गया हूँ. आशा है आपके भी मन भाये .
Manaa us aur mritu ka tam hai
mritu se nahi marataa chintan hai
jeeved sharad shatam,ki vaidik sukti
dekhe aap sharada shatam kyoki aap me dam kham hai
@Rajendra sharma”vivek”,
सहृदय धन्यवाद !
jeevem sharad: shatam`
सुनसान में एकाकी होने से काव्य-कलश में बढ़त हुई .
ज्ञानवर्धक ! पथप्रदर्शक !!!
@Harish Chandra Lohumi,
साभार धन्यवाद !