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माँ

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 माँ की ममता के बखान को  शब्द कहां से लाऊं मै
ममता मई माँ के चरणों में शत शत शीष नमाऊं मैं |

9 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति

    आज की माएँ क्या ऐसी ही ममता बच्चों पर करेंगे
    बड़े होकर क्या ये ही बच्चे माँ को प्यार में रक्खेंगे ?

    • dr.o.p.billore says:

      @Vishvnand,

      — आदरणीय, पंक्तियाँ पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद |
      आज के सन्दर्भ में आपकी आशंका सर्वथा उपयुक्त है |नए जमाने की हवा से नयी पीढी स्वयं को कितना बचा पाती है; कहना कठिन है | किन्तु कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाये तो माँ इस कसौटी पर सदैव ही खरी उतरती आयी है | क्योकि :- “कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति”

  2. sushil sarna says:

    सुंदर भावाभिव्यक्ति – विधाता ने माँ के उच्चारण में अंतहीन स्वर दिया है क्योंकि माँ का प्यार अनन्त है, भाव अनन्त है-शीश तो हमें उसके सदा झुकाना ही है लेकिन उससे भी जरूरी है माँ में अदृश्य माँ को पहचानना -जैसे बिन बोले ही माँ बच्चे की हर बात को जान जाती है वैसे ही औलाद की भी माँ की भावनाओं के प्रति तीक्ष्ण दृष्टि होनी चाहिए – सुंदर रचना के बधाई

    • kusumgokarn says:

      @sushil sarna,
      Billoreji,
      Short and sweet.
      Kusum

    • dr.o.p.billore says:

      @sushil sarna,
      सरना साहेब ,माँ के विषय में आपकी इतनी सुन्दर गद्यात्मक अभिव्यक्ति पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |
      पंक्तियाँ पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद |

  3. dr.o.p.billore says:

    @kusumgokarn,
    कुसुमजी,रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

  4. santosh bhauwala says:

    कम शब्दों में सब कुछ कह दिया आपने,बधाई !!
    संतोष भाऊवाला

    • dr.o.p.billore says:

      @santosh bhauwala,
      लम्बी लम्बी रचनाओं के शिल्पी से दो पंक्तियों पर प्रतिक्रिया पा कर अच्छा लगा |धन्यवाद |

  5. parminder says:

    अति सुन्दर! भाव स्पष्ट एवं पवित्र!

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