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राह सही

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Hindi Poetry

जब कोई बड़ा निर्णय लेने का वक्त आये
जब ह्रदय और मस्तिष्क में मंथन हो जाए
भावनाओं को प्यार से शांत कर
असमंजस के बादलों से निकल कर
राह वही पकड़ना जो हो सही
अपनी नहीं, दूसरों की जिसमें हो खुशी|

मुस्कराहट जब देखोगे, उदास कैसे हो पाओगे?
संतुष्टि जब देखोगे, खुद-ब-खुद समझ जाओगे
निर्णय जो लिया, सही था,
दर्द भरा शायद,
पर सही|

दर्द को ज़्यादा देर हवा न दो
उसे, जितनी जल्दी हो सके,
ख़त्म कर दो
नहीं तो शायद जंगल की आग सदृश
अलाव आस-पास न बन जाए अदृश्य
इसलिए
असमंजस के बादलों से निकल कर
राह वही पकड़ना जो हो सही
अपनी नहीं, अपनों की जिसमें हो खुशी|

6 Comments

  1. rajdeep bhattacharya says:

    is kavita ne sach me behat khusi di mujhe
    loved it ma’am
    Your Rajdeep

  2. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर विचार और रचना में उसकी अभिव्यति
    यही राह है जीवन का सही सार और असली प्राप्ति
    हार्दिक अभिवादन

    राह वही निश्चिन्त सही है जिसमे अपने कार्य से मिले अपनों को और औरों को खुशी जिसमे ही समाया रहता अपने खुद का सत समाधान और सत्कार्य की अपनी खुशी …

  3. Parminderji
    Bahut sunder khyaal rachya hai aapnay. Loved the lines ‘
    ‘असमंजस के बादलों से निकल कर
    राह वही पकड़ना जो हो सही’
    sarala.

  4. parminder says:

    Thanks a lot for your kind words Rajdeep, Vishwa ji and Sarala ji.

  5. sushil sarna says:

    no words except to say vaah, vaah

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