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हरारत निस्बतों से ग़ुम हुई, शिद्दत की सर्दी है.
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हरारत निस्बतों से ग़ुम हुई, शिद्दत की सर्दी है.
वही बेगानगी ठहरी, वही अंधेरगर्दी है. nisbat-sambandh,beganagi-parayapan
अकेले तो नहीं हैं हम इनायत दोस्तों की थी,
बला जो भी शहर की थी हमारे साथ कर दी है.
नकाबों के बिना चलना यहाँ तो काम मुश्किल है,
चमकते आईने रखिये,जमी चेहरों पे ज़र्दी है.
कहो अब कैस से पढ़ लिख के कोई नौकरी ढूंढें,
दिलाती साथ लैला का न अब सहरा नवर्दी है. qais-majnu,sahara navardee-registaan me firna,
सफेदो स्याह दुनिया की निहां रंगीनियों में हैं,
समझते हैं वही इनको जिन्हें रब ने नज़र दी है. nihaan-leen,chhipe hue
परिंदे आ गए उड़ के हज़ारों मील तय कर के,
कि फल आये हैं पेड़ों पर उन्हें किसने खबर दी है.
खता क्या थी फ़क़त हमको न माना दीद के काबिल,
झलक अपनी तो यूँ तुमने इधर दी है, उधर दी है.
चमकती बर्क़ को देखा तो औचक ये ख़याल आया,
ये किसने मांग बदली की शरारों से यूँ भर दी है. barq-bijlee,shararon-angaron
बिना मतलब यहाँ तो नाम भी पूछे नहीं कोई,
कोई तो बात है उसने तवज्जो यूँ अगर दी है. tavazzo-dhyaan
Sir ,
यूँ तो पूरी ग़ज़ल ही काबिले तारीफ है , पर पैरा १,४,६,७,९ माशा अल्लाह गज़ब हैं .