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अब न रहे कमनीय कलेवर

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अब न रहे कमनीय कलेवर

बदल गए दुनिया के तेवर.

 

हुई सादगी दुर्गुण जैसी

और बनावट जैसे जेवर,

 

नेह नहीं बस स्वार्थ प्रमुख है,

सब चाहेंगे तुझसे फेवर.

 

कोई न पूजे उस ईश्वर को,

जो कि न मुंह मांगे दे दे वर.

 

मतलब प्रिय अप्रिय ठहराए

कोई स्वयं में नीक न नेवर .  नीक-अच्छा,नेवर-बुरा (भोजपुरी शब्द)

4 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत खूब, क्या बात है

    अलग सी रचना सुन्दर “फ्लेवर”
    अर्थपूर्ण बहु भायी सुमधुर
    हार्दिक प्रशंसा है दिल से सादर …

  2. Abhishek Khare says:

    Bahut sahi saab

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