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अब न रहे कमनीय कलेवर
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अब न रहे कमनीय कलेवर
बदल गए दुनिया के तेवर.
हुई सादगी दुर्गुण जैसी
और बनावट जैसे जेवर,
नेह नहीं बस स्वार्थ प्रमुख है,
सब चाहेंगे तुझसे फेवर.
कोई न पूजे उस ईश्वर को,
जो कि न मुंह मांगे दे दे वर.
मतलब प्रिय अप्रिय ठहराए
कोई स्वयं में नीक न नेवर . नीक-अच्छा,नेवर-बुरा (भोजपुरी शब्द)
बहुत खूब, क्या बात है
अलग सी रचना सुन्दर “फ्लेवर”
अर्थपूर्ण बहु भायी सुमधुर
हार्दिक प्रशंसा है दिल से सादर …
@Vishvnand, dhanyavad, vishv kee taareef mil jaye yahi to har rachnakar chahta hai.
Bahut sahi saab
@Abhishek Khare, thanks abhishek ji.