« »

ऐ खुदा वो खुदा भी पत्थर का खुदा निकला

0 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 50 votes, average: 0.00 out of 5
Loading...
Uncategorized
 हमने समझा था जिसे अलग वो तुमसा निकला
वो सितमगर तुम से न कम ज़रा निकला
ऐ खुदा वो खुदा भी पत्थर  का  खुदा  निकला
 
लाख चाह की डूबा दें गम को
फिर खुद ही बचाया जाकर
लाये फिर से घर
जो देखा के डूबता गम
तो गम अपना निकला
ऐ खुदा वो खुदा भी पत्थर  का  खुदा  निकला
 
ये सुना था की लौटे नहीं जो जाया करते
याद बनके वो लौटे बार बार
और झूठा ये फलसफा निकला
ऐ खुदा वो खुदा भी पत्थर  का  खुदा  निकला
  
हो गया राख
हवा में मिल गयी मेरी ख़ाक 
होके कतरा कतरा भी न वो दिल से मेरे निकला
ऐ खुदा वो  खुदा भी पत्थर  का  खुदा  निकला 

One Comment

  1. Kusum Gokarn says:

    This poem must be written in a mood of sadness and depression.
    Cheer up. Our own fate/karma is responsible for our sorrows.
    Kusum

Leave a Reply