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कलम

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Hindi Poetry
कभी दुआ लिखी,
कभी सलाम लिखा,
कोई इशारा कभी,
कभी हाल तमाम लिखा
कभी सुबह को तुम,
कभी तुमको, सारी शाम लिखा ||
      लिखा फिर
        कभी
ऊपर तुम्हारा,
नीचे अपना नाम लिखा |
कहने को कलम
पर इस कलम
से जीवन  मैंने तमाम लिखा ||

6 Comments

  1. Vishvnand says:

    लिखने की अनुभूति का सुन्दर बयाँ
    मन भाया

  2. Harish Chandra Lohumi says:

    कलम और दिल के मिश्रण से लिखी गयी रचना . बहुत खूब.

  3. Abhishek Khare says:

    Bahut sahi rachana hai saab.

  4. dr.o.p.billore says:

    इसी कलम ने दिए जगत को तुलसी सूर कबीर |
    विनय सदा लिखते रहो इस मन की बात गंभीर ||
    बधाई |

  5. Prem Kumar Shriwastav says:

    खुबसूरत अंदाज़…कविता के लिए बधाई..

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