« चल मेरे साथी चल | प्रकृति तेरी अजब कृति » |
कलम
Hindi Poetry |
कभी दुआ लिखी,
कभी सलाम लिखा,
कोई इशारा कभी,
कभी हाल तमाम लिखा
कभी सुबह को तुम,
कभी तुमको, सारी शाम लिखा ||
लिखा फिर
कभी
ऊपर तुम्हारा,
नीचे अपना नाम लिखा |
कहने को कलम
पर इस कलम
से जीवन मैंने तमाम लिखा ||
लिखने की अनुभूति का सुन्दर बयाँ
मन भाया
कलम और दिल के मिश्रण से लिखी गयी रचना . बहुत खूब.
Bahut sahi rachana hai saab.
इसी कलम ने दिए जगत को तुलसी सूर कबीर |
विनय सदा लिखते रहो इस मन की बात गंभीर ||
बधाई |
अदभुत कमेंट
खुबसूरत अंदाज़…कविता के लिए बधाई..