« जो हो न अपना उसे देख मन क्यों पागल | जीवन पतझर » |
जिंदगीभर…
Hindi Poetry |
परखते रहे वो हमें जिंदगीभर…
हम भी उनके हर इम्तहान में पास होते रहे…
मज़ा आ रहा था उनको हमारी आसूँ की बारिश में…
हम भी उनके लिए बिना रुके रोते रहे…
बेदर्द थे वो कुछ इस कदर…
नींद हमारी उड़ा कर वो खुद चैन से सोते रहे…
जिन्हें पाने के लिए हम ने सब कुछ लुटा दिया…
वो हमें हर कदम पे खोते रहे…
और,
एक दिन जब हुआ इसका एहसास उन्हें…
वो हमारे पास आकर…
पूरे दिन रोते रहे…
हम भी खुदगर्ज़ निकले, यारों…
कि आँखें बंद कर ली..
और,
कफ़न में चैन से सोते रहे…
शशिकांत निशांत शर्मा ‘साहिल’
{www.SureShotPOST.blogspot.in}
{School of Planning and Architecture (SPA)
New Delhi}
Shashikant Nishant Sharma