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तजुर्बे

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Hindi Poetry

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ज़िंदगी ने कुछ यूँ तजुर्बे कराये हमें ।

कुछ दोस्त दोस्त नज़र न आये हमें ।।

आईना कभी तो मुझे मुझको दिखाए ।

क्यों हर बार एक अजनबी नजर आये हमें ।।

हम चाँद की तरह आज चमके तो है ।

पर क्यों चाँद मे कई दाग नज़र आये हमें ।।

हर बार क्यूँ ये खुदा मैं तेरे दर पे आऊं ।

कभी तू भी तो मेरे घर मिलने आये हमें ।।

हर दोस्त दोस्त नज़र न आये हमें ।

ज़िंदगी ने कुछ यूँ तजुर्बे कराये हमें ।।

-अभिषेक

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4 Comments

  1. Siddha Nath Singh says:

    हर दोस्त दोस्त नज़र न आये हमें । ये वाक्य कुछ व्याकरण सम्मत नहीं लगा.शायद यूँ कहें तो-कोई दोस्त दोस्त नज़र न आये हमें. -तो बेहतर हो.विचार करियेगा अभिषेक जी.

  2. Vishvnand says:

    बड़ा खूबसूरत अंदाज़े बयाँ, काफी मन भाया हमें
    जिन्दगी तजुर्बे के लिए हैं हर तजुर्बा ही है सिखाये हमें

    “हर दोस्त” के बदले “कुछ दोस्त” ज्यादा सही हो और दोस्तों के और अपने विचारों के प्रति आदर भी .. 🙂

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