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तुम मुझसे क्यूं छुपे हो ?
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तुम मुझसे क्यूं छुपे हो ?
मेरी नींद उड़ गयी है ,होशोहवास खो बैठी हूँ
उसकी ज़रुरत भी क्या है अगर तुम नहीं हो?
सुनो उस मैना को जो बिलखता गीत गा रही है
देखो वो सूखे पत्तो को जो बसंत का इंतज़ार कर रहे हैं
देखो उस रोती नदी को जो सागर से मिलने को तड़प रही है
और वो मधुमखी जो सेहरा में गुम गयी है …अपने प्रेमी से बिछड़ कर
सभी मेरा ही तो तराना गा रहें हैं
बहुत खूब अति सुन्दर अभिव्यक्ति
चित्र के साथ इन पंक्तियों की छबि
मन भिगो गयी… हार्दिक बधाई
विरह का सुंदर चित्रण, रेनू जी. बधाई.
Very nice.
आपके चित्र भी आपकी कविता से भावपूर्ण हैं| विरह की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|