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तो अच्छा ये पतझड़ है
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry, Jun 2012 Contest |
जब सूख रही हो हर एक डाली
बूटे-२ को लगी हो नजर
जब गुलशन बन जाये सहरा
सूरज उगल रहा हो जहर
तब भी,पलाश चटकीली छाँव बनाते है,
भूख-प्यास मिटाते तरबूज और तर
गर इतना जिवंत हो समां,
तो चाहे सारे गुलाब जाये झड,
गर एसा होता है चमन का पतझड़
तो अच्छा ये पतझड़ है |
अगर उम्र की लकीरों से ज्यादा
मुस्कुराहटें निकलती है,
हमारी हल्की सी ठोकर पर भी
दसियों ऑंखें पिघलती है,
गर दूसरी पीढ़ी हमें फिर से चलना
सिखाती है
और तीसरी नए ज़माने के खेल खिलाती है,
घर से बाहरझांको तो भी
सम्मान में झुकती है हजारों आँखें
तो चाहे पूरी उम्र बीते मुकद्दर से लड़-२
गर एसा होता है जीवन का पतझड़ ,
तो अच्छा ये पतझड़ है |
गर बुरे वक़्त का भवंर हो निगलने को
इश्वर भी आखिरी रास्ता बंद कर दे निकलने को
गर अपने भी हो जाये पराये
मुंह फेर ले खुद से खुद के ही साए
जब कोई रास्ता न हो सब कुछ हालात पर छोड़ने के सिवाए
मौका हो कुछ ऐसा ना तो जियें ना ही मर पायें
तब अचानक कोई प्यार भरा हाथ ह में सहलाता है
गर ना खींच पाए हमें उजाले में, वो खुद ही अँधेरे में चला आता है
एक, एक ऐसा हाथ हो तो, दोस्ती का नाम ही जाए गल-सड़
गर ऐसा होता है रिश्तों का पतझड़
तो अच्छा ये पतझड़ है |
जब दो पल का इंतज़ार चार पल में बदल जाए
उम्र लगे जैसे हो आधी, कहीं मिले बिना ना मर जाए
जान हो हलक में अटकी
कितना भी बहलाओ, आंसू भर भर आयें
हाथ हो कस कर जुड़े, बस निकले मन्नतें और दुआएं
और एक हलकी सी आहट बदल दे सारा वाकया
आंसूं बन जाए रोष,
शिकायतें, दुआओं से बदल जाए
गर ऐसा मोती हो छुपा हृदय-सीप में
तो कोहिनूर भी लगता है कंकड़
गर ऐसा होता है प्यार का पतझड़
तो अच्छा ये पतझड़ है |
क्योंकि चमन हो या जीवन
रिश्तें हो या प्यार,
पतझड़ तो सब पर आता है
यही प्रकृति का नियम है
हर रोज उगता है जो सूरज
रोज ढल भी जाता है
जिसे हम पतझड़ कहते हैं
वही तो असल बहार है
जिससे हमें इश्वर अनदेखा रुख दिखाता है
वो तो हसने के पल होते है, जब कोई शह रोता है
अब कुछ कुछ समझ में आने लगा है
क्यों अक्सर कहती है माँ
” जो होता है, अच्छे के लिए होता है” |
अति सुन्दर बहुत खूब अर्थपूर्ण हर्षक रचना
पतझड़ में हरियाली की अभिव्यक्ति
ऐसे ही विचारों में होती है सच्चा जीवन जगने और जानने की शक्ति
रचना के लिए हार्दिक अभिवादन
Hearty kudos
@Vishvnand, dhanywaad sir
बहुत ही सुन्दर कविता…
@Prem Kumar Shriwastav, शुक्रिया श्रीवास्तवजी |
sundar
@Siddha Nath Singh, मेरी खुशनसीबी है सर जो आप जैसे अच्छे कवियों की छाँव में मेरी कवितायेँ फल-फूल रही है |p4poetry ने ये मौका दिया वर्ना तो रफ कापियों में कहीं गुमशुदा होती |थैंक्यू सर |
बहुत बढ़िया रचना. बधाई.
@Aditya !, thank you very much aditya .