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बातें बहुत बनेंगी इतना ख़याल रखना.
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अच्छा न सबके आगे यूँ दिल का हाल रखना.
बातें बहुत बनेंगी इतना ख़याल रखना.
कुछ कद्र बेहुनर की होती नहीं जहाँ में,
बेहतर है अपने हाथों में कुछ कमाल रखना.
संकीर्ण सोच वाले मेगा महा नगर में,
आसान तो नहीं है दिल को विशाल रखना.
वो मौन को तुम्हारे समझें गुरूर जैसा,
बेहतर है जब मिलो तुम लब पे सवाल रखना.
कोई नहीं मुक़म्मल मिलता है इस जहाँ में,
तुम भी ज़हन में अपने सब खद्दो खाल रखना.
मुहलत न फिर मिलेगी कर लीजे जो है करना,
नाकामियां ही देगा यूँ कल पे टाल रखना.
दिल तोड़ ही न डाले ये पेशो पस मुसलसल,
अच्छा न सिलसिला ए हिज्रो विसाल रखना .
वाह वाह बहुत खूब
मन भायी बातें ये सब हैं जिनका ख्याल रखना …
@Vishvnand, thanks for prompt reaction sir
क्या बात है, सरल भाषा उच्च विचार,सुंदर भाव, मजा आ गया, सिंह साहिब -बधाई
@sushil sarna, shukriya inayat ke liye sarna sahab.
कुछ कद्र बेहुनर की होती नहीं जहाँ में,
बेहतर है अपने हाथों में कुछ कमाल रखना.
बहुत उम्दा शेर व ग़ज़ल, बधाई एस.एन.
@U.M.Sahai, dhanyavad sir, bahut der kee meharbaan aate aate.
वाह!!! वाह!!!अति सुंदर
@santosh bhauwala, inayat ka shukriya santosh ji.
आदरणीय बहुत अच्छी बातें कही है…..साड़ी थकान मिट गई…धन्यवाद…
“क्या पता कब हो जाएँ ,अपनी आँखे नम,
यारो खुद की जेब में,इक रुमाल रखना …….”
@praveen gupta, dhanyavad Praveen ji.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई.
@Prem Kumar Shriwastav, shukriya Prem Bhai,bahut dinon baad inaayat farmaayi.