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मैं चाहता हूँ मुझ पर भी पतझड आये
Apr 2011 Contest |
मैं चाहता हूँ मुझ पर भी पतझड आये
साल भर वक़्त के तेवर देखूं
फिर मेरे भी पत्तों का रंग बदल जाये …….
मैं चाहता हूँ मुझ पर भी पतझड आये
जब भर जाये शाखाएं मेरी इतनी
की कोई जगह न रह जाये ………….
तब में चाहता हूँ की मुझ पर भी पतझड आये
जब जानना चाहूँ मैं खुद को
तब कोई पर्दा खुद से न रह जाये
तब में चाहता हूँ की मुझ पर भी पतझड आये
good one…:)
@praveen gupta, thank you
Nice one, keep sharing.
सुन्दर रचना
मानभायी कल्पना
खासकर अंतिम छंद की भावना
punarnavikaran kee utkat aaakanksha ko prativimbit kari achchhi rachna.