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वो जानता है की इतनी खूबसूरती से मैंने क्या छुपाया होगा ||
Hindi Poetry |
तुम्हारे सामने शिकायतों का पुलिंदा खोलकर भी क्या करुँगी
अनजान रहोगे तुम,वक़्त तो फ़क़त मेरा ही जाया होगा ||
आखिरी लगता है जब तीर,हरकत-ऐ-कमान हो जाती है
जरुर पिछला कोई हिसाब ज्यादा बकाया होगा ||
माना बद्दुआएं है ज्यादा,मेहरे खुदा कम,पर जीत ही जाउंगी
क्योंकि हर बार मेरा कदम इन दोनों से सवाया होगा ||
ज्यों-२ मुस्कराहट होती है तेज,पकड़ यार की भी हो जाती है
वो जानता है की इतनी खूबसूरती से मैंने क्या छुपाया होगा ||
जाने क्यों वो पल्लू बंधे टके को भी बार 2 टटोलती है
खून -पसीने से नहीं शायद भूख से कमाया होगा ।।
बहुत खूब और खूबसूरत अंदाज़े बयाँ और हर शेर मोहक
अब और भी पढ़ने सुनने को आतुर हैं जाने क्या क्या अभी बकाया होगा
बहुत मनभावन
Kudos
@Vishvnand, धन्यवाद सर
रचना अच्छी लगी.
@Prem Kumar Shriwastav,शुक्रिया श्रीवास्तवजी
बहुत खूबसूरत!
dhanywaad parminderji |