I am water
Sometimes solid...you can always depend on
Sometimes liquid...fits in anywhere
Sometimes vapor...ephemeral...I am there and then I am gone
Sometimes ice...but can be dissolved by fire
Sometimes swirling ....with passion
Sometimes tranquil ....with still desire
Always flowing....unaware of the destination
Sometimes vivid ....like blue sapphire
Always pure....see your reflection
Always rising ...wanting to go higher
renu rakheja has written 133 poems. Visit Poet Page: renu rakheja
तुमने कहा था ….कि जब मेरी आँखों से ज़िंदगी देखते हो
तो सिनेमास्कोप जैसी रंगीन हो जाती है
अब तुम नही फिर भी कोशिश तो करती हूँ कि तुम्हारे नज़रिए से ही देखूं
नम आँखों से रंग और गहरे हो जाते हैं
बहुत समय बाद आपकी रचना आई और अपना जादू कर गयी- चंद पंक्तियाँ और असीमित भाव-लगता है नदी अपनी बूंदों में सागर को समेटना चाहती है-सृष्टी को अपनी बाहों में समेटना चाहती है-सुंदर रचना के लिए जितनी तारीफ़ की जाए, कम है- फिर भी हार्दिक बधाई रेनू जी
बहुत ही प्रभावपूर्ण और विम्बत्मक रचना, मुझे भी कहने को प्रेरित कर गयी कि-
रंग तो वो गया समेट सभी पर ये आंसू तो प्रिज्म जैसे हैं ,
सच का एक रंग है मगर उसको सात रंगों में ये दिखाते हैं ,
वाह वाह बहुत खूब
अति सुन्दर उत्कृष्ट चित्र और उसपर शब्दावली भी
मन लुभावनी
@Vishvnand, Thank you VV ji
बहुत समय बाद आपकी रचना आई और अपना जादू कर गयी- चंद पंक्तियाँ और असीमित भाव-लगता है नदी अपनी बूंदों में सागर को समेटना चाहती है-सृष्टी को अपनी बाहों में समेटना चाहती है-सुंदर रचना के लिए जितनी तारीफ़ की जाए, कम है- फिर भी हार्दिक बधाई रेनू जी
@sushil sarna, Sushil ji…..am touched by your comments….thank you very much
एक भाव-भीनी अच्छी रचना, बधाई रेनू जी.
@U.M.Sahai, Thank you Sahai ji
खुबसूरत पंक्तिया.
बहुत ही प्रभावपूर्ण और विम्बत्मक रचना, मुझे भी कहने को प्रेरित कर गयी कि-
रंग तो वो गया समेट सभी पर ये आंसू तो प्रिज्म जैसे हैं ,
सच का एक रंग है मगर उसको सात रंगों में ये दिखाते हैं ,
वाह-वाह,बहुत सुन्दर, प्रसंशा कर देना सहज है,अक्सर ये लिखने वालो को भ्रमित ही करती है.
इसलिए कविता के शिल्प और कथ्य पर केन्द्रित कीजिये.
बधाई.