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पतझड़ को प्रणाम
Hindi Poetry, Jun 2012 Contest |
पतझड़
पतझड़ है आलेख प्रकृति के उन सोपानों का |
भीषण तपन शिशिर वर्षा आंधी तूफानों का ||
जिनको सह कर भी न डिगा अपने कर्तव्यों से |
शोधित पर्यावरण किया आजीवन पूरी निष्ठा से ||
स्वागत में बसंत के जिसने किया रिक्त है सिंहासन |
उस पतझड़ को करता है यह कृतज्ञ जग करबद्ध नमन ||
अतिसुन्दर भाव और कल्पना
बहुत मन भायी रचना
Commends
@Vishvnand,
धन्यवाद सर जी
बहुत सुन्दर और ज्ञान वर्द्धक !
पतझड़ का समर्पण . वाह !
@Harish Chandra Lohumi, धन्यवाद लोहुमीजी
शुद्ध हिंदी को प्रयोग कर लिखी गयी एक सुंदर रचना. बधाई. पतझड़ न हो तो बसंत का मज़ा ही न आये.
@U.M.Sahai, आदरणीय सहाय साहेब रचना की मंशा को पहचान कर उसकी सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
अति उत्तम रचना…!!
रचना पर ध्यान देने और सराहना करने के लिया आपका बहुत बहुत धन्यवाद |