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आह लाजिम नहीं सुनाई दे.

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आह लाजिम नहीं सुनाई दे.

ज़ख्म दिल का तुम्हे दिखाई दे.

 

ऐसी उम्मीद गैर वाजिब है,

रहनुमा है तो रहनुमाई दे.

 

बात जब भी ज़मीन की आये,

रख ले अपनी फ़क़त परायी दे.

 

जुर्म का पेशवा बज़ाते खुद,

खूब इन्साफ की दुहाई दे.

 

या खुदा जिसपे  आ गया  ये दिल,

उसको अंदाज़े आशनाई दे,

 

शौक़  उसका महज़ मसीहाई,

खुद ही मारे औ’ खुद दवाई दे,

 

दूसरा कौन अब गवाही दे.

भाई के बर खिलाफ भाई दे.

 

कुछ न कुछ  आज उससे मांगेंगे,

ज़हर दे वो कि अब मिठाई दे.

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