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झरना (बाल गीत)
Hindi Poetry |
झरना
झर झर बहता झरने का पानी,अद्भुत है ये नजारा
प्रबल वेग से कल कल बहती, देखो इसकी धारा
चमक इसकी चांदी जैसी मोती जैसी लगती बुँदे
धरती को देता हरियाली,बच्चे खुश हो खेले कूदे
पर्वतों का गहना मनभावन,धरा को देता शीतलता
सोने सा खेत लहलहाता,देख सभी का मन हर्षाता
कुदरत की है ये करामात , पर्यटकों को भरमाता
बार बार देखना इसको,बच्चे बड़े सभी को लुभाता
पशु और पक्षी इसमें नहा, होते तृप्त, रहते मगन
सभी का इस बहते पानी में ख़ुशी से भीगे तन मन
जितना जरूरत उपयोग लेना , न करना मनमानी
प्रक्रति की अमूल्य धरोहर, जीने का सहारा , पानी
संतोष भाऊवाला
ठंडकता शब्द नहीं होता, ठंडापन और ठण्ड होता है,लूभाता -नहीं लुभाता
आदरणीय सिद्धनाथ जी ,गलतियों के लिए मुझे खेद हैI उन्हें एडिट कर दिया है I
आपका अतिशय धन्यवाद उनको इंगित करने के लिए,कृपया आगे भी इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहेंI बहुत बहुत आभार !!
संतोष भाऊवाला
@Santosh Bhauwala, achchhi kavita sandeshpoorn aur samayik.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!
Sandesh deti kavita
आदरणीय विवेक जी ,आपको कविता पसंद आई, आभारी हूँ!!!
संतोष भाऊवाला
सुन्दर कविता पढ़कर मन बहला गयी
और अंत में पानी का मूल्य सुन्दरता से बच्चो को क्या बड़ों को भी समझा गयी
इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई
आदरणीय विश्वनंद जी ,कविता मन भायी,लिखना सार्थक हुआ!!
साधुवाद !!
संतोष भाऊवाला