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***दिल से दिल की राह ….***

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Hindi Poetry

याद भी कितनी बेदर्द हुआ करती है 

दर्द देने वाले से ही मिलने की दुआ करती  है 

वजह मिलती नहीं उससे बिछुड़ जाने  की 

हर सावन अश्कों की झड़ी हुआ करती है 

अब मार्बल के फर्श पर रंग बिरंगे कालीन होते हैं 

अश्कों के गीलेपन से  कहाँ फिसलन  हुआ करती है 

वो ज़माने और थे जब भोर तक दामन में नमी रहती थी 

अब तो हर दाग के लिए ड्राई क्लीन हुआ करती है 

सच है, ज़माने के साथ प्यार के मायने  भी बदल गए हैं 

नाईट क्लबों में कहाँ अब प्रेम की गहराई हुआ करती है 

लेकिन शाश्वत सत्य को यूँ नकारना मुमकिन नहीं 

ढाई अक्षर में आज भी वही सच्चाई हुआ करती है

ईट,ड्रिंक एंड बी मैरी तो सिर्फ छोटी सी पगडंडी मात्र है

जीते हैं दूर तलक  जिसमे फना होके भी, वो तो सिर्फ….

दिल से दिल की राह हुआ करती है 

 

 

सुशील सरना 

 

 

 

14 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    बहुत खूब सरना साहब .

    याद+दर्द+दर्द देने वाले+ दुआ+वजह +बिछुड़ना+ सावन+ अश्कों की झड़ी + मार्बल के फर्श+ रंग +कालीन+गीलापन + फिसलन+ ज़माना + भोर+दामन+ नमी+ दाग+ ड्राई क्लीन+ प्यार+ मायने+नाईट क्लब+ प्रेम + गहराई + शाश्वत सत्य + नकारना+ मुमकिन+ढाई+ आज+सच्चाई+ईट+ड्रिंक एंड बी मैरी +पगडंडी + दूर तलक+ फना + सिर्फ+दिल + राह = अनूठा सरना युगीन काव्य !

    एक बार मुस्कुरा दीजिये ना !

    • sushil sarna says:

      @Harish Chandra Lohumi,
      आपकी इस प्रतिक्रिया पे हसना तो जरूरी है-इस स्नेह के लिए हार्दिक शुक्रिया हरीश जी

  2. s.n.singh says:

    satya vachan hai.bahut khoob.

  3. Vishvnand says:

    हरीशजी और सिद्धनाथ जी की सुन्दर टिप्पणियों से पूर्ण सहमति
    आपकी रचनाएँ होती ही हैं खूबसूरत और अलग सीं …..

    • sushil sarna says:

      @Vishvnand,
      रचना को इतना मान देकर अपने रचना को और भी खूबसूरत बना दिया है- शुक्रिया सर जी

  4. dr.o.p.billore says:

    अश्कों के गीलेपन से कहाँ फिसलन हुआ करती है
    इस एक पंक्ति पर लाखों लाख बधाई |

    • sushil sarna says:

      @dr.o.p.billore,

      रचना के प्रति आपकी इस ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया

  5. parminder says:

    अश्कों के गीलेपन से कहाँ फिसलन हुआ करती है
    बहुत सही लिखा है, बदलते वक्त के साथ भावनाओं का भी रूप बिलकुल भिन्न हो गया है! बहुत बढ़िया!

    • sushil sarna says:

      @parminder,

      रचना के आपके मनभावन मनोभावों का हार्दिक धन्यवाद परमिन्द्र जी

  6. U.M.Sahai says:

    बहुत खूब सरना जी, मज़ा आ गया.बधाई.

  7. praveen gupta says:

    वास्तविकता को सम्पूर्णता से पेश किया गया है…..आनंद आ गया ..:):)

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