***दिल से दिल की राह ….***
याद भी कितनी बेदर्द हुआ करती है
दर्द देने वाले से ही मिलने की दुआ करती है
वजह मिलती नहीं उससे बिछुड़ जाने की
हर सावन अश्कों की झड़ी हुआ करती है
अब मार्बल के फर्श पर रंग बिरंगे कालीन होते हैं
अश्कों के गीलेपन से कहाँ फिसलन हुआ करती है
वो ज़माने और थे जब भोर तक दामन में नमी रहती थी
अब तो हर दाग के लिए ड्राई क्लीन हुआ करती है
सच है, ज़माने के साथ प्यार के मायने भी बदल गए हैं
नाईट क्लबों में कहाँ अब प्रेम की गहराई हुआ करती है
लेकिन शाश्वत सत्य को यूँ नकारना मुमकिन नहीं
ढाई अक्षर में आज भी वही सच्चाई हुआ करती है
ईट,ड्रिंक एंड बी मैरी तो सिर्फ छोटी सी पगडंडी मात्र है
जीते हैं दूर तलक जिसमे फना होके भी, वो तो सिर्फ….
दिल से दिल की राह हुआ करती है
सुशील सरना
बहुत खूब सरना साहब .
याद+दर्द+दर्द देने वाले+ दुआ+वजह +बिछुड़ना+ सावन+ अश्कों की झड़ी + मार्बल के फर्श+ रंग +कालीन+गीलापन + फिसलन+ ज़माना + भोर+दामन+ नमी+ दाग+ ड्राई क्लीन+ प्यार+ मायने+नाईट क्लब+ प्रेम + गहराई + शाश्वत सत्य + नकारना+ मुमकिन+ढाई+ आज+सच्चाई+ईट+ड्रिंक एंड बी मैरी +पगडंडी + दूर तलक+ फना + सिर्फ+दिल + राह = अनूठा सरना युगीन काव्य !
एक बार मुस्कुरा दीजिये ना !
@Harish Chandra Lohumi,
आपकी इस प्रतिक्रिया पे हसना तो जरूरी है-इस स्नेह के लिए हार्दिक शुक्रिया हरीश जी
satya vachan hai.bahut khoob.
@s.n.singh,
बहुत बहुत शुक्रिया सिंह साहिब
हरीशजी और सिद्धनाथ जी की सुन्दर टिप्पणियों से पूर्ण सहमति
आपकी रचनाएँ होती ही हैं खूबसूरत और अलग सीं …..
@Vishvnand,
रचना को इतना मान देकर अपने रचना को और भी खूबसूरत बना दिया है- शुक्रिया सर जी
अश्कों के गीलेपन से कहाँ फिसलन हुआ करती है
इस एक पंक्ति पर लाखों लाख बधाई |
@dr.o.p.billore,
रचना के प्रति आपकी इस ऊर्जावान प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया
अश्कों के गीलेपन से कहाँ फिसलन हुआ करती है
बहुत सही लिखा है, बदलते वक्त के साथ भावनाओं का भी रूप बिलकुल भिन्न हो गया है! बहुत बढ़िया!
@parminder,
रचना के आपके मनभावन मनोभावों का हार्दिक धन्यवाद परमिन्द्र जी
बहुत खूब सरना जी, मज़ा आ गया.बधाई.
@U.M.Sahai,
Thanks a lot for so nice appreciation, Sir
वास्तविकता को सम्पूर्णता से पेश किया गया है…..आनंद आ गया ..:):)
@praveen gupta,
Thanks from the bottom of my heart for so nice appreciation.