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न दिल का ज़िक्र न दीवानगी की बात करो.
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न दिल का ज़िक्र न दीवानगी की बात करो.
छिपा के दर्द वो कहते ख़ुशी की बात करो.
किसी नज़र में उमंगें न वलवले न ललक,
यहाँ पे कैसे भला ज़िन्दगी की बात करो.
जब उसका ज़िक्र छिड़े ज़ख्म हो उठें ताज़ा,
बज़ा यही है किसी अजनबी की बात करो.
बहुत हुई ये गुलो बुलबुलों की अक्कासी ,
सुखनवराने शहर आदमी की बात करो.
तेरे जमाल का चर्चा भी है किया जाना,
औ’ हुक्म ये भी कि बस सादगी की बात करो.
तुम्हारा रंग ही अक्सां है हो कोई मज़्मूं,
खुदी की बात करो,बेखुदी की बात करो.
Sakaaraatmk urjaa deti rachanaa
@rajendra sharma “vivek”, dhanyavad Rajendra ji
वाह वाह बहुत खूब
मालूम है जुर्म का मुकदमा सालों चलेगा
कहते फैसला होने दो तब इस की बात करो
पहले इनके झूटे मुंह में दो लगा देना चाहिए
फिर कहना चाहिए आओ अब सच की बात करो
@Vishvnand, bahut khoob