« ये किस मुक़ाम पे आखिर हयात लायी है. | दूध के दांत » |
मस्त पवन मस्त गगन मस्त समा आज रे ….!
Hindi Poetry, Podcast |
यह गीत मेरे इक कोंकणी गीत ” हंसता वारो नाचता दर्यो” ( जो आल इंडिया रेडियो पणजी से १९७४ में प्रस्तुत हुआ था ) का हिंदी में अनुवाद का प्रयास है जो कोकणी गाने की तर्ज में ही इसके नए video version और podcast के साथ प्रस्तुत और शेयर करने में बहुत खुशी महसूस कर रहा हूँ
Mast Pavan Mast Gagan Mast sama aaj re
मस्त पवन मस्त गगन मस्त समा आज रे ….!
मस्त पवन मस्त गगन मस्त समा आज रे,
तेरे पास रह के मेरे दिल का बजा साज रे ….!
तेरे ख्यालों में थीं कितनी जागीं सारी रातें रे,
रात दिन था मेरे दिल को तेरा इंतज़ार रे,
आज तुम ही आ गए हो यूं जो मेरे साथ रे,
तेरे पास रह के मेरे दिल का बजा साज रे .…!
दरिया का किनारा आज सारा अपने साथ रे,
देखो लहरें खुश हों झूम नाचें गायें आज रे,
*माडों ने हवा के संग देखो धरा ताल रे,
तेरे पास रह के मेरे दिल का बजा साज रे .…!
नाच उठा मेरा मन नाच उठा,
गाने नाचने को बहका दिल ये मेरा,
तुम मिले तो जिन्दगी ही मिल गई है आज रे
तेरे पास रह के मेरे दिल का बजा साज रे ……!
मस्त पवन मस्त गगन मस्त समा आज रे,
तेरे पास रह के मेरे दिल का बजा साज रे ….!
“ विश्व नन्द “
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( नारिअल के पेढ़ को कोंकणी में * माड़ कहते हैं )
bhut khub
@Narayan Singh Chouhan ,
कमेन्ट के लिए हार्दिक धन्यवाद
साज बजाने का बड़ा प्यारा अंदाज है-
यूँ ही झूमे दिल का सावन
और बजें दिल के साज रे
नयन रहें मदहोश हमेशा
बुझे न लबों की प्यास रे
इस प्यारी और मासूम सी रचना के लिए हार्दिक बधाई सर जी
नाच उठा मेरा मन नाच उठा……
वही सदाबहार आवाज और मस्त अंदाज.
वाह क्या कहने.
ऑडियो आज सुन सका. (तकनीकी खराबी के कारण 🙂 )