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ये भरा बाज़ार है……….! (गीत)

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Hindi Poetry, Podcast

यह मेरा इक पुराना गीत गाकर इसके नए पॉडकास्ट के साथ प्रस्तुत और share करने में खुशी महसूस कर रहा हूँ…
इस गीत की तर्ज़ सुरश्री श्रीमती माणिक वर्मा जी के गाये इक सुन्दर मराठी गीत की तर्ज़ पर आधारित है और इस हिंदी गीत के शब्द, भावार्थ बिलकुल अलग, पर उसी गीत की सुन्दर तर्ज़ में उभरे थे…

  

ये भरा बाज़ार है……….! (गीत)

ये भरा बाज़ार है, यहाँ बिक रही हर चीज़ हैं,
अपना भी बिकना यहाँ, अब आ गया नज़दीक है…
ये भरा बाज़ार है….!

कोई भी तुम चीज़ ले लो, चाहे पाक उसूल भी,
सब पे कीमत सी लगी है, बोली बस होने को है,
अपना भी बिकना यहाँ, अब आ गया नज़दीक है….
ये भरा बाज़ार है…!

उन उसूलों को जो हमने पाले थे अब तक सही,
उनकी होली सज चुकी है, अब सुलगने ही को है….
अपना भी बिकना यहाँ, अब आ गया नज़दीक है….
ये भरा बाज़ार है….!

ये ज़माना है नया, मजहब नए हैं आज सब,
पैसा ही अल्लाह है, अल्लाह भी बिकने को है…
अपने ख़ुद को बेचना अब आ गया नजदीक है…
ये भरा बाज़ार है….!

ना सकें हैं रोक हम, दुनिया की इस रफ़्तार को,
चल पड़ी ज़हन्नुम को ये, ज़न्नत भी अब रोने को है,
देख और सुन के ये सब, अल्लाह भी क्यूँ मजबूर है
अब तो क्या है सोचना, सब आ गया नज़दीक है…..!

ये भरा बाज़ार है, यहाँ बिक रही हर चीज़ हैं ……….!

                                                    ” विश्वनन्द “

8 Comments

  1. Harish Chandra Lohumi says:

    सार्थक कृति !
    वास्तव में देखिये तो हर पल बिकता जा रहा है.
    गरीब बिक रहा है, अमीर बिक रहा है,
    ईमान बिक रहा है, जमीर बिक रहा है.

    • Vishvnand says:

      @Harish Chandra Lohumi ,
      प्रतिक्रिया में प्रशंसा और सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक धन्यवाद
      पर पल कहाँ बिक रहा है वो तो जैसे हम और हमारा सब है जो इक इक कर के हर पल और पल पल में बिकता जा रहा है… हम सम्हालें भी तो कितना सम्हालें ?

  2. rajendra sharma "vivek" says:

    Upbhoktaavaad hai joro par,mulyheen sidhdaant huye
    pyaare bol kahaa par milate
    dil dard rahe anchuye

    • Vishvnand says:

      @rajendra sharma ,
      प्रतिक्रिया में सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद…

  3. santosh bhauwala says:

    आदरणीय विश्वनाथ जी ,
    गीत के बोल बहुत अच्छे लगे, साधुवाद !!
    सादर
    संतोष भाऊवाला

    • Vishvnand says:

      @santosh bhauwala ,
      प्रशंसायुक्त कमेन्ट के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद

  4. sushil sarna says:

    एक सशक्त कृति-गहरे भाव दिल को छोटे हैं-अंतर्व्यथा को आपने बहुत ही मार्मिक ढंग से शब्दों में ढला है- बधाई हो सर जी

    • Vishvnand says:

      @sushil sarna ,
      आपकी प्रशंसनीय प्रेरणापर प्रतिक्रिया का आदर से सन्मान है
      जिसे पाकर रचना सार्थक हो गयी है
      आपका तहे दिल से शुक्रिया

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