मुझे हिंदी कविताएँ (विशेषकर हास्य) लिखना बेहद पसंद है और अपने इस लेखन के सफर में मैंने काव्य के अनेक रूप जैसे कविता, गज़ल, गीत एवं कव्वाली इत्यादि लिखे हैं मगर अभी भी मेरी कोई पहचान नहीं है सिवाय मेरे परिवार एवं कुछ सबंधियों तथा मित्रों को छोड़कर। मुझे लगता है कि आज के व्यस्त जीवन में दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना बहुत कठिन है और मैं इसी का प्रयास कर रहा हूँ। आप सभी मेरी रचनाओं को पढ़कर कोई न कोई टिप्पणी चाहे वह नकारात्मक ही क्यों न हो, अवश्य दें जिससे मुझे अपने लेखन से खर-पतवार ढूँढने में सहायता मिल सके और मैं आपके समक्ष अपने लेखन का नित नया स्वरूप रख सकूँ।
मेरी सभी रचनाओं का आनंद आप मेरे ब्लॉग में ले सकते हैं जिसका पता है – http://kavisushiljoshi.blogspot.com/
Sushil Joshi has written 216 poems. Visit Poet Page: Sushil Joshi
Tirangaa is raashtr kaa gahnaa hai
susheel ji tirange par achcha muktak
tiranga me lipati asmitaa
tirange kaa aanchal bhaarat ma ne pahanaa hai
tirange se ek rahe jan jan
tirange ki chaayaa me ham sabko rachanaa
सुन्दर और प्यारी पंक्तिया…
गांधीजी और देशवासिओं के आँखों में तिरंगा लहराता हुआ इक आदर्श है
आजकल के गांधी और कांग्रेस की हांथों में अपना तिरंगा बहुत बड़ा फर्क है
nice
@arvind kharbanda, धन्यवाद अरविन्द जी….
Tirangaa is raashtr kaa gahnaa hai
susheel ji tirange par achcha muktak
tiranga me lipati asmitaa
tirange kaa aanchal bhaarat ma ne pahanaa hai
tirange se ek rahe jan jan
tirange ki chaayaa me ham sabko rachanaa
@rajendra sharma “vivek”, वाह… बहुत बहुत आभार राजेन्द्र जी…
सुन्दर और प्यारी पंक्तिया…
गांधीजी और देशवासिओं के आँखों में तिरंगा लहराता हुआ इक आदर्श है
आजकल के गांधी और कांग्रेस की हांथों में अपना तिरंगा बहुत बड़ा फर्क है
@Vishvnand, वाह क्या बात है विश्वनंद जी… सादर आभार….
आमीन!
@parminder, शुक्रिया परमिंदर जी…