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माहौल
Aug 2012 Contest, Hindi Poetry |
माहौल
आज हर हिंदुस्तानी अन्ना होना चाहता है,
मादरे वतन के लिए फना होना चाहता है.
भ्रष्टाचार के नीचे पल रहे हैं सर्प कई,
आज जवाँ खून नेवला होना चाहता है.
इस आग को अब बुझने न दो यारो,
क्योंकि हर अंगार शोला होना चाहता है.
काँप जाएँगे वो सब सियासी नुमाइंदे,
सावन भी अब जलज़ला होना चाहता है.
—————————— सुशील जोशी
Krantikaar kavita
@rajendra sharma “vivek”, बहुत बहुत धन्यवाद राजेन्द्र जी….
सुन्दर रचना |उपमाओं का अति उत्तम प्रयोग |बधाई |
@dr.o.p.billore, डॉक्टर साहब….. आपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आपका….
fanaa hona itna aasaan hota to beimaanon kee roohen fana ho chuki hotin.
beimaan to fanne khaan bane ghoom rahe hain
safalta ke adhar safayi se choom rahe hain.
sangharsh deerghjeevi ho zara mushkil hota hai,
eemaandaaron ka zara sa to dil hota hai.
beimaan dariyadili dikhate hain
aur saare vote bator le jaate hain.
@Siddha Nath Singh, आपका कथन पूर्णत: सही है आदरणीय सिद्ध नाथ जी….. किंतु एक 73 वर्ष के बुज़ुर्ग ने क्राँति की एक ऐसी ज्वाला हम सबके दिलों में प्रज्जवलित की है कि आज अधिकतर देशवासी उनके साथ कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार हैं…… आज़ादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में रामलीला मैदान में भारतीय तिरंगा फहराया जो अपने आप में दिलों में धधकती इस ज्वाला का प्रतीक है…
बहुत बढ़िया माहौल का सुन्दर बयान है
हर देश प्रेमी आज उठ खड़ा है लड़ना चाहता है
मिलजुल कर इन भ्रष्टों लुटरों से कड़ी लड़ाई में उन्हें जमीनदोस्त करना चाहता है
भारत देश का भविष्य अब आगे कुछ कठिन पर उज्वल सा प्रतीत होने लगा है ….
बहुत सुन्दर रचना ..
हार्दिक अभिनन्दन
@Vishvnand, आपके आशीर्वचनों के लिए दिल से आभार विश्वनंद जी…..
बहुत बढ़िया, प्रेरक रचना! जोश से भरी!
@parminder, आपका प्रोत्साहन मेरी प्रेरणा है परमिंदर जी….