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“ये मौसमी आवाजें”

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“ये मौसमी आवाजें”
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१) अटकण चटकण दही चटोकण, आले गीले खैर बड़ा, बगझूले बगवाड़ी झूले, सावन मास करेला फूले,
फूल फूल बन झाड़ी के बाबा जी की बाड़ी के, आंमलो, दामलो बैठाय घुड़लो पाणी पीजाय !
२) घुड़लो घूमे छै, घुड़ले रे बांध्यो सूत, घुड़लो घूमे छै, ओ तो तेल बड़े घी खाय, घुड़लो घूमे छै ! घुड़लो घुड़लो
पाणी दे, टाबरिये ने राणी दे !
३) गौर ए गिणगौर माता खोल किवाड़ी, बायर खड़ी थाणे पूजण वाड़ी, पूजो रे पुजार्याँ बायाँ आँगन वांगन बारा,
बार खड्यो ओ बीरो मांगे आसन बासन न्यारा, अन्दर बैठी झांके वीकी काड़ी सी लुगाई, ऑटो पीसे थके
बापड़ी भोड़ी सी भोजाई !
४) छनमन छोरो छाछ कटोरों, ईश्वर राजा बोड़ो, गौर पूजे गणपति, ईश्वर पूजे पार्वती, म्हे पूजांला आला गीला,
गौर राणी टीको दे टमको दे, बाला राणी बिरत करे, आरसो-बारसो बैठाय घुड़लो पाणी पीजाय !
५) टीकी रम्बो क झम्बो, टीकी पालो क फूलो, टीकी तारो कसूम्बो ले — आ टीकी म्हारी गवर्जा बाई ने सोवे,
म्हारी ….बाई ने सोवे, म्हारी ….बाई ने सोवे ….म्हारी …..बाई ने सोवे, टीकी तारो कसूम्बो ले !
६) पाटो धो ए पाटो धो हरिये री बैन पाटो धो, पाटे ऊपर धर ली टाँग, बीरो करे माँग पर माँग !
७) हम मस्तों में आन मिले कोइ खिल्लत वाला रे, कोइ हिम्मत वाला रे ! बिजली सी चमकत नस नस में,
आज नहीं हम अपने बस में (होली की प्रभात फेरी) !
८) व्यास जी री रबड़ी, कुत्ता सबड़ी !
९) ए दिल वालों मीठा खाना अच्छा है पर कभी कभी, पनिये की रबड़ी में होता लच्छा है पर कभी कभी !
१०) तावडिये में मे बरसे, भूत भूतणी परनीजे !
११) पुनि पुनि चन्दन, पुनि पुनि पानी, ठाकुर सड़ गए हम क्या जानी !
१२) आ मेरी लूरो, झबरक झूरो, दूध लपक के खा ……..
१३) ताड़ी दे तपाड़ी दे.
१४) मगरमच्छ है कितना पानी, डूब रही है बूढ़ी नानी !
१५) चूँ चूँ चिडैयाँ, वन की बिलैयाँ, रात पड़े दिन सो सो जैयाँ ! …
१६) कामधाम ठप्प है, तभी हो रही गप्प है —— अभी इति श्री !
१७) काना बाती काना बाती कुर्र्र्र, हिप हिप हिप हिप हुर्र्र (कान कूकड़ी) !
१८) नाना सोवे या घर में, टाँग पसारे वा घर में !
१९) राम चन्दर्र्र्रर्र्र,……..राम चन्दर्र्र्रर्र्र, ,………राम चन्दर्र्रर्र्र (मोदी की आवाज) !
२०) रबड़ी के लच्छे…………
२१) बर…अ…अ….अफ़……(मोती-घसीटा आदि की आवाज) !
२२) कुल्फे…ए…ए !!!
२३) बढ़े री माई बाई के बेटे पोतों की वंश बढ़े, जीता रहे भूरिया लट्टूरिया !
२४) पावना हनुमान की जय !
२५) भेज !, भेज !!, भेज !!! (दौलत राम जी की पुकार) !
२६) भाग बिल्ली कुत्तो आयो, लारे सूँ बिलाव आयो….
२७) धापूड़ी धिनाड़ी धिन, सतर की नानी धिन……
२८) सींकन की रे गड्डियाँ रे गड्डियाँ, मेंढक जुटते जाँय, जामे बैठे नौरा दादू, कुंडल झलके कान……..
२९) बेम टिनन्ना जी बेम टिनन्ना जी किते चले चले……
३०) अकल घुमाऊँ बकल घुमाऊँ, पकड़……….!
३१) छकनकना दो पूंछड़ी, दस गोडे मुख चार, एकै नाहीं जीभड़ी, पंडित करो विचार ?
(उत्तर=गाय, गूजर और गूणिया): ६ कान, दो पूंछ, ४ मुख, दस गोडे, १ गुर्जर, १ दूध का बर्तन)
३२) एक बकरी बकरी लाई दूजी भी इक बकरी लाई, आगे की रे लारे २, लारे की रे आगे २ ?
(उत्तर = ३ बकरी)

6 Comments

  1. sushil sarna says:

    बाप रे बाप-इतनी आवाजें और इतने मौसम-बधाई सर जी

  2. Vishvnand says:

    वाह वाह क्या बात है क्या collection है
    पढ़ पढ़ आनंद आता गया , धन्यवाद
    और इक फिल्मी गीत भी याद आया ….

    “तीतर के दो आगे तीतर; तीतर के दो पीछे तीतर,
    आगे तीतर पीछे तीतर बोलो कितने तीतर ? 🙂

  3. Siddha Nath Singh says:

    bahut prashansneeya. Kash do kishton me bade font me hoti.

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