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असाधारण नारियां
Hindi Poetry |
जग ने देखा प्रेम सिया का
की नंगे पैरो डोली थी!!
परदे के पीछे उर्मी ह …
जो एक शब्द न बोली थी!!
सिय बोली यु रामचंद्र से
की तुम बन जी न पाऊँगी…
महल लगेंगे कब्रों जैसे
कैसे रैन बिताउंगी !!
और उर्मी ने अपने सर रख ली
कर्तव्यों की गांठें थी
सास ससुर की सेवा करती
मूक बधिर दिन काटे थी…!!
सिया ने खाए कंद मूल जो
राम ही चुन के लाते थे…
उर्मी के हिस्से आस्वादन
जो पति को मिल न पाते थे !!
कुश की शैय्या बुन के नित दिन
सिया रघु संग सोती थी…
और अपने मखमल पे उर्मी
पहरों पहरों रोती थी..!!
एक दिन हर ली रावण ने सीता
तो भगवन भी बौराए थे…
“देखि मेरी सीता तुमने???”
यूँ फूलों से बतियाये थे..!!
चिता ही धर ली सीता ने अपनी
की रघु बिन जी न पाऊँगी…
और उर्मी इस आस में जिन्दा
की पिय दर्शन कब पाऊँगी??
सिया की हिस्से रघु की संगत
उर्मी की हिस्से कांटे थे…
याद पति को कर के पल पल
यूँ चौदह बरस वो काटे थे…!!!!
बहुत खूबसूरत वर्णन है उर्मिला के त्याग का! सीता जी कष्टों में रहीं, पर थीं तो पति के साथ, पर उर्मिला तो १४ साल पति दर्शन को ही तरस गयी, उसके लिए क्या महल, क्या राज्य, कोई सुख न था !
@parminder, धन्यवाद् !!
बहुत सुंदर , भाषा-भाव प्रवाह का सुंदर संयोजन.
अति सुंदर रचना .
साधुवाद
@Dr. Manoj Bharat, धन्यवाद् डॉ. मनोज !! for appreciating such simple couplets ..
निर्विवाद अति सुन्दर भावनिक अर्थपूर्ण रचना है मन को अतिशय भायी है
मुझे विश्वास है उर्मिला के बड़े त्याग का ग्रंथों में हुआ सच में न्याय नहीं है
सीता के पतिप्रेम से उर्मिला का पतिप्रेम सच लगता है काफी श्रेष्ट है
पर तब भी होता था शायद आजकी media जैसा पुस्तकों में भी hero worship से पक्षपात है … 🙂
इक जरूरी बात …..
ऐसी पोस्टिंग कर यहाँ आपने किया p4poetry साईट के rule का उलंघन है
आप नहीं पोस्ट कर सकती main page पर किसी दूसरे ने लिखी कविता हैं
जिसने लिखी है उसने ही मेम्बर बन अपनी रचना पोस्ट करनी है
किसी दूसरे की कविता आपको पोस्ट करनी है तो उसे main page पर नहीं forum पर पोस्ट करनी है
thank you so much Mr Vishwanand…no problem..I will create a log in Id…but i cant not maintain these accounts and that will be injustice to the site so i did not yet.
My sister wanted to share this piece with all of you..so she posted here..otherwise i have posted it as a comment on the same poem. By the way thank you for appreciating this piece.this will encourage me to share my rest poems with all you great writers. @Vishvnand,