« ओझल है तू नज़र से इधर बेनिशान हम. | ***…. इश्क … *** » |
– फूलो से की दोस्ती काँटों को नागवार गुजरी–
Hindi Poetry |
नफरतो की कटार दिल के पार उतरी /
फूलो से की दोस्ती काँटों को नागवार गुजरी /
ज़माने के तीखे नश्तर छेदते रहे सीने को ,
सह ना सके तुम, हम पर तो हर बार गुजरी /
वफा को मिलता रहा बेवफाई का नाम ,
बेदाग थे हम मगर ,जिंदगी दागदार गुजरी /
भुलाया था हमने बड़ी मुश्किलों से जिनको
सामने आ गया चेहरा, दिल से जो यादगार गुजरी /
बहुत सुन्दर रचना दिल पर कर वार गुजरी
भावनाओं की बरसात में भीग यादगार गुजरी
Commends
@Vishvnand,
बहुत बहुत आभार विश्वनान्दजी
BAHUT KHOOB
@SN,
आपका ” बहुत खूब ” एक सम्मान की तरह लग रहा है सिंह साहब
Thak’s
नींद कैसे नहीं आती, अक्सर सोचा करती थी
तू रूठा तो जाना ,वो एक रात कैसे गुजरी .
अच्छी रचना सर .
@kshipra786,
बहुत बहुत धन्यवाद