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– फूलो से की दोस्ती काँटों को नागवार गुजरी–

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Hindi Poetry

नफरतो की कटार दिल के पार उतरी /

फूलो से की दोस्ती काँटों को नागवार गुजरी /

ज़माने के तीखे नश्तर छेदते रहे सीने को ,

सह ना सके तुम, हम पर तो हर बार गुजरी /

वफा को मिलता रहा बेवफाई का नाम ,

बेदाग थे हम मगर ,जिंदगी दागदार गुजरी /

भुलाया था हमने बड़ी मुश्किलों से जिनको

सामने आ गया चेहरा, दिल से जो यादगार गुजरी /

6 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत सुन्दर रचना दिल पर कर वार गुजरी
    भावनाओं की बरसात में भीग यादगार गुजरी

    Commends

  2. SN says:

    BAHUT KHOOB

    • Narayan Singh Chouhan says:

      @SN,
      आपका ” बहुत खूब ” एक सम्मान की तरह लग रहा है सिंह साहब

      Thak’s

  3. kshipra786 says:

    नींद कैसे नहीं आती, अक्सर सोचा करती थी
    तू रूठा तो जाना ,वो एक रात कैसे गुजरी .
    अच्छी रचना सर .

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