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आये हवा सा छू के, कोई दम में जा रहे.
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आये हवा सा छू के कोई दम में जा रहे.
मिलने में ऐसे तुम ही कहो क्या मज़ा रहे.
उनको नहीं जो साथ गवारा है खुद सिवा,
कौन उनके साथ और , सिवा आईना, रहे.
है क्या अजीब दौर, हैं बर्बाद बस्तियां,
उनको लगी ये धुन कि मक़बरा सजा रहे.
भर पेट ,ले डकार, वो बामे बुलंद से,
भूखों को फायदे हैं बरत के गिना रहे. बामे बुलंद-ऊंची छत से
ज्यादा तो कुछ न माँगा सिवा इसके या खुदा,
मूंदूँ जो आँख सर पे वो दस्ते हिना रहे.
हर चीज़ तेरे अक्स सरीखी लगी हमें,
तेरे बिना रहे न, गो तेरे बिना रहे.
शिकवा रहे तो दिल में रहे बरक़रार याद,
जाओगे भूल कल न अगर कुछ गिला रहे.
क्या बात कर रहे हो, कोई बात भी तो हो,
बेबात बात का हो बतंगड़ बना रहे.
आना ही कौन है कि दरे दिल को वा करें,
बेजा घुसें ख़याल दरे दिल जो वा रहे. वा-खुला
दुनिया के परस्तार हो, उनसे कहाँ निभे,
वो चाहते न दिल में कोई उन सिवा रहे. परस्तार-पूजक
मौसम बदल गया तो गयी रौनक़े बहार,
क़ागज़ का था न फूल कि हरदम खिला रहे.
अच्छा निजाम आपने कायम किया हुजूर,
जिनको उभारना था, उन्ही को दबा रहे.निजाम-व्यवस्था
बिछुड़े हैं बार बार गिना कर ये फायदा,
मिलने का बार बार बना सिलसिला रहे.
बहुत ही सुन्दर रचना ,
और इनका तो कहानाही क्या :-
आये हवा सा छू के कोई दम में जा रहे.
मिलने में ऐसे तुम ही कहो क्या मज़ा रहे.
भर पेट ,ले डकार, वो बामे बुलंद से,
भूखों को फायदे हैं बरत के गिना रहे.
आना ही कौन है कि दरे दिल को वा करें,
बेजा घुसें ख़याल दरे दिल जो वा रहे.
अच्छा निजाम आपने कायम किया हुजूर,
जिनको उभारना था, उन्ही को दबा रहे
बधाई |
dhanyavad doctor sahab.
बिछुड़े हैं बार बार गिना कर ये फायदा,
मिलने का बार बार बना सिलसिला रहे.
बहुत खूब
thanks Chandan ji.
क्या बात है… सुभान अल्ला….
बहुत मजा आया और आता ही रहा………