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नहीं नहीं शकील तुमसे आशिकी क्या होगी…..
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दिन का रंग क्या रातों की चांदनी क्या होगी
सवाल ये है बिन तेरे ये ज़िन्दगी क्या होगी
करके इज़हार ए वफ़ा खुद तर्क ए राह हुए
तू ही बता इस से ज्यादा बेबसी क्या होगी
नादान हैं जो कर रहे हैं फिर से चरागाँ यहाँ
वो नहीं तो इस शहर में रौशनी क्या होगी
बैठ गया है कोई अपने सजदों को संभाल
न हो खुदा जहाँ वहां भला बंदगी क्या होगी
है ज़माने का डर कहीं तो कहीं खौफ़ ए खुदा
नहीं नहीं शकील तुमसे आशिकी क्या होगी
Very nice and touching. Loved it. God bless you Shakeel.
वाह वाह शकील साहेब बहुत ही उत्तम रचना ,खूब बधाई |
है ज़माने का डर कहीं तो कहीं खौफ़ ए खुदा
नहीं नहीं शकील तुमसे आशिकी क्या होग
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah shakeel saahib kya baat kah gaye है ज़माने का डर कहीं तो कहीं खौफ़ ए खुदा
नहीं नहीं शकील तुमसे आशिकी क्या होगी
अति सुंदर दिल को छू गयी आपकी ये गजल-मुबारक हो
DOOSRE SHER KA MATLAB THODA KAM SAMJH PAYA.
वाह ! बहुत खूब…..!
शकीलभाई मजा आ गया…!
Kya baat hai sahab