« On a par with rainbow | बुझती है शमा, अब तो आ जाय सहर ,या रब. » |
बढ़ा ही नहीं दायरा दोस्तों का.
Uncategorized |
बढ़ा ही नहीं दायरा दोस्तों का.
कि टोटा हमेशा रहा दोस्तों का.
रहा मेरे नुक्सों का चरचा शहर में,
सुनाते थे सब, सब कहा दोस्तों का.
कभी भी न सीधा दिखा अपना चेहरा
अजब ढब का था आईना दोस्तों का.
तरक्की की मेरी खबर आ गयी क्या,
बिगड़ क्यों गया जायका दोस्तों का.
भरोसा रहा दुश्मनों पर ज़ियादा,
उन्ही से है पूछा पता दोस्तों का.
पहुँच वो गए मंजिलों पे, इधर हम,
रहे देखते रास्ता दोस्तों का.
किया वार बैरी ने छुप के जो अबके,
ख़याल आया क्यों बारहा दोस्तों का.
तरक्की की मेरी खबर आ गयी क्या,
बिगड़ क्यों गया जायका दोस्तों का.
…..मेरी पसंदीदा पंक्तियाँ.
inayat ke liye dhanyvad. Ya to pathak kam ho gaye hain ya shayad sabki ungliyon me aaj kal dard rahne laga hai! khuda jaane kya baat hai,
daado tahseen milti nahin
murdani bazm me chhaa gayi.