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ये कैसा पिता है जियाउद्दीन युसफजई

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ये कैसा पिता है जियाउद्दीन युसफजई

*(पाकिस्तान की स्वातघाटी का एक शिक्षक, किसान और कवि जो 14 साल की बहादुर मलाला का पिता है, जिसपर तालिबानियों ने स्कूल छोड़ने का फरमान न मानने के विरोध में जानलेवा हमला किया था)
—-
कौन है ये जियाउद्दीन युसुफजई
क्या चाहता है
जब पूरी स्वात घाटी बंद कर लेती है किवाड़े
तालिबानियों की दशहत से
लोग दुबके जाते हैं घरों में
एक फरमान की बेटियां गई स्कूल
तो फेंक दिया जाएगा उनके चेहरे पर तेजाब
माएं आंचल में छुपा लेती हैं बेटियां
लेकिन ठीक इसी वक्त एक किसान जियाउद्दीन युसुफजई
बो रहा होता है अपनी बेटी मलाला में हिम्मत के बीज
इस उम्मीद के साथ कि जब ये बीज पौधा फिर पेड़ बनेगा
तब आएंगे फल और बंजर नहीं कही जाएगी उसकी स्वात घाटी
शिक्षक जियाउद्दीन युसुफजई
अपनी बेटी के हाथ में रखता है रवींद्रनाथ टैगोर की किताब
समझाता है एकला चलो रे का सबक
बेटी मलाला निकल पड़ती है स्कूल के लिए
उस वक्त भी जब सड़को पर साथ होती है सिर्फ दहशत
टेलीविजन के कैमरों के सामने निडर मलाला
पूछ रही होती है सवाल कि क्यों नहीं जा सकती है वह स्कूल
कौन सा मजहब इजाजत देता है
कि बेटियां स्कूल जाएं तो उन पर फेंक दिया जाए तेजाब
बरसाए जाएं कोड़े, मार जी जाएं गोलियां
गर्व से छाती फुला रहा होता है
स्वात घाटी का मशहूर कवि जियाउद्दीन युसुफजई
ये वो क्षण हैं जब वो कविता लिख नहीं
जी रहा होता है घाटी की सड़को पर
बेटी मलाला बनना चाहती है डाक्टर
पिता चाहता है कि वह बनें सियासतदां
और करे लोगों में छिपे डर का इलाज
ताकि बेटियां वो बन सकें जो बनना चाहती हैं
न कि किसी मलाला नाम के डाक्टर को
किसी दहशतगर्द के तेजाब से डरना पड़े
बेटी मलाला के सिर पर हाथ रखे
हिमालय की तरह खड़ा है जियाउद्दीन युसुफजई
दहशतगर्दों को इस जवाबी ऐलान के साथ कि
वो न घाटी छोड़ेगा न मलाला स्कूल
क्योंकि अब डरने की बारी तुम्हारी है

-प्रताप सोमवंशी

 

4 Comments

  1. Yogesh Dabra says:

    सोमवशीं जी रुला दिया आपकी कविता ने. मलाला ने मैं तो क्या बड़े बड़े लोगों की अन्तर आत्मा को झन्झोड़ दिया होगा.

  2. Sham Sunder Kumar says:

    God Bless. Wonderful..keep writing. Society needs Poets like you.

  3. Manoj Sharma says:

    The best thing about this poem is that
    The poet has thrown bright light on the heart
    Of a father; who is brave like a lion and visionary
    Like a pioneer; he is breaking a rough, hard and dry surface
    In anticipation that sublime water would come out with a force
    And would flush all adulterated and meaningless ideologies

  4. hitesh says:

    Three different soft subtle shades of fatherhood…’Hats off’
    -hitesh

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