« F A I T H ….! | अँधेरा जैसे जैसे बढ़ रहा है, » |
लोकतंत्र की कुर्सी
Hindi Poetry |
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सुन्दर मार्मिक सटीक रचना
बहुत मन भायी I हार्दिक बधाई l
इस ऐसी तैसी व्यवस्था को अब और नहीं सहना हमने
नाच भ्रष्ट ये इनका रोक अब सबक सिखाना है हमने ….!
हार्दिक धन्यवाद विश्वनंद जी….
kya baat sushil ji, paripurna chitran. badhaiyan