« ढूंढते ही रहे रहगुज़र रहगुज़र, | तना तराश के जिसको शहर ने मारा था » |
नन्हे दीये
Hindi Poetry |
आदरणीय सदस्य गन,
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!

जगमगाए नन्हे नन्हे दीये
देख बल्ब ने किया उपहास
पुरे साल किया मैंने उजाला
अब तू करेगा जग में उजास ?
मुस्कुराये छोटे छोटे दीये
है तुममे सूर्य सी रौशनी अपार
पर मंद रौशनी में भी है बात ख़ास
ज्यों चंदा की चांदनी में खिले रास!
ए बल्ब तू स्वयं ही जलता
औरो को रौशन करने में हो अक्षम
एक दिया अनेकों को रौशन करता
टिमटिमाती लौ में भी होती आस!
ईश् चरणों तले जलता है दीया
उसकी लौ से लेते सभी आरती
जिससे जीवन में छाये उल्लास
ज्यों महकती गीता ज्ञान की सुवास!
सन्तोष भाऊवाला
सुन्दर रचना बढ़िया अंदाज़
मनभाया सन्दर्भ और इसका सारा साज़
हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको दीवाली पर आज
बल्ब तो है जैसे बाहर का तीव्र उजाला
दिया लगे जैसे दे अपने अंतर्मन को उजियारा
bahut khoob.ye bhi sochne kee baat hai ki diya apne tale base andhere ke ooper raaj karta hai,bulb ke sir par andhere ka taaj hota hai.