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ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
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पर याद रख
तेरा पीछा ना छोडूंगा
भाग कर जायेगी कहाँ
मुझे मालूम है तेरा हर पता …… ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
याद कर बचपन के दिन
जवानी की राते
जब तू रोज़ ..हँस हँस कर मिलती थी
हर दिन इक बहार थी …तू गुलशन की कली सी खिलती थी
बचपन जवानी क्या बीते …. तू बीत गयी …तू रीत गयी
तू क्यों बीती ..तू क्यों रीती
जरा ये तो बता ….ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
तू क्या सोचती है कि मैं डर जाऊंगा
थक जाऊंगा, हार जाऊंगा या मर जाऊंगा
मगर याद रख..
ये तेरी भूल है
मुझे तुझसे प्यार है
और तेरे हर सितम कबूल है
हाँ ..तुझे जो शिकवे शिकायत है
वो और बात है अलबत्ता ……ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
तेरी धुप छावं में …सुबहो और शाम में
मैं पक चुका हूँ
पर लोग समझते हैं कि मैं रुक चुका हूँ ….थक चुका हूँ
मगर ए जिन्दगी
ना मैं रुका हूँ ना थका हूँ
मैं समझ गया हूँ जिन्दगी तेरा रंगों को …. तेरे ढंगों को
सुख दुःख आशा निराशा …. उम्मीदों और उमंगो को
और जान गया हूँ जिन्दगी
कि तेरी नहीं इसमें कोई ख़ता
….ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
भाग जितना भाग सकती है भाग
पर याद रख
तेरा पीछा ना छोडूंगा
भाग कर जायेगी कहाँ
मुझे मालूम है तेरा हर पता …… ए जिन्दगी सता सता तू मुझे और सता
अच्छी लगी
ऐ जिन्दगी तू ऐसा क्यूँ भागती है
मैं तो तुझे अब बाहों में ले चुका हूँ
भागेगी जितना भी पर मुझसे दूर जायेगी कहाँ ….
Just remembered a saying, I think it was Winston Churchill who said it, “if you have to go through hell, keep going”.