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हिन्दोस्तां मेरा वापस ला दो
Hindi Poetry |
बदलते वक़्त में शायद तुम
इतने मतलबी हो गए हो
इतिहास के पन्नों में दुबक कर
आराम से जो सो गए हो
उठो भगत, सुभाष उठो ..
पटेल, तिलक तुम भी जागो
जाने कहाँ पर खो गया वो …
हिन्दोस्तां मेरा वापस ला दो
थक गए बहुत ये माना
है आराम जरुरी भी
या तो खुद आ जाओ वरना
अपने जैसा हमें बना दो
जाने कहाँ पर खो गया वो …
हिन्दोस्तां मेरा वापस ला दो
बलिदान तुम्हारा हम सब भूले
आज़ादी के मद में चूर
विलासता में जकड़े हुए हैं
जंजीरों से मुक्त करा दो
जाने कहाँ पर खो गया वो …
हिन्दोस्तां मेरा वापस ला दो
बहुत सुन्दर भावनिक और देशप्रेम से प्रेरित
रचना प्रभावी और समवेदना की बहुत मन भायी
हार्दिक बधाई
राष्ट्रीयता से ओतप्रोत एवेम अत्यंत भावपूर्ण रचना | बधाई |
बढे चलो बढे चलो
Naveen तुम बढे चलो
बहुत सुन्दर देश प्रेम की रचना! काश, पुराने वक्त की मान्यताएं आज भी होतीं|