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नारी अभ्यारण्य
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry |
हे नर,
अबके तुम नववर्ष नहीं ,नवजीवन का जश्न मनाओ,
बहुत सम्मान दिया है तुमने मुझे,अर्धागिनी तक कहा,
मैं ही मूर्खा थी शायद,अपने अस्तित्व का मुझे भान न रहा,
की खड़ी हूँ जिस जमीं पे,ये तो केवल तुम्हारा ही जहाँ है,
समानता के भ्रम में भूली,की मेरे पास पौरुष ही कहाँ है ?
गहन निद्रा में हूँ शायद,कृपया मुझे जगाओ,
शापित संतान हूँ इश्वर की,वापिस उसी के पास पन्हुचाओ,
अबके तुम नववर्ष नहीं,नवजीवन का जश्न मनाओ |
मत सोचना की मुझे जरा भी कष्ट होगा,
वो परमपिता नाममात्र भी तुमसे रुष्ट होगा ,
नारी नरक का द्वार है,मनु ने भी तो वर्षों पूर्व कहा था,
तब शायद तुम्हारी बुद्धि का शैशवकाल रहा था ,
अब तो जान गए हो,अपने बंधुओं को भी दो जरा ज्ञान,
जो कुछ भी तुम्हे मिला है,उसका कुछ तो लाभ उठाओ,
अबके तुम नववर्ष नहीं,नवजीवन का जश्न मनाओ |
सोचो,
सोचो अब तुम्हारा जीवन कितना सुखमय हो जायेगा,
न वक्त की पाबंदी होगी,ना सलीके के कोई फालतू पाठ पढ़ायेगा,
हर बंधन टूटेगा,स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर ही क्या रह जायेगा,
न अश्रुओं की धार होगी ,न प्रेम का सागर कंही हिलोरे खायेगा ,
दया,ममता,करुणा सब है झूठे शब्द ,अब तो इनसे पीछा छुड़ाओ ,
अबके तुम नववर्ष नहीं,नवजीवन का जश्न मनाओ |
चलो इस स्वर्णिम बेला में,एक और गुप्त बात बताती हूँ तुम्हें,
आखिर नारी हूँ,पचेगी नहीं ,
अंतिम सत्य भी सुनती हूँ तुम्हे,
हममे से कुछ के पाप अभी शेष बचे है,
विधाता ने कुछ और सूरज तुम्हारे साथ रचे हैं,
पर हिम्मत रखो,धेर्य न हारो,
उठो, इस आखिरी दांव में भी बाजी मारो,
सोचो ,
कैसे अपने दुर्दिनो की कथा अग्रजों को बताओगे ?
बिना साक्ष्य ,सत्य कैसे समझोगे ?
करो ऐसा, एक विशेष क्षेत्र उन अतिशापितों को करो प्रदान,
तुम वहाँ आखेट करना,वो उसे भी दया समझेंगी नादान,
शीघ्र ही एक सुन्दर ”नारी अभ्यारण्य” बनाओ
हे नर ,
अबके तुम नववर्ष नहीं ,नवजीवन का जश्न मनाओ ।।
bahut khoob !!
सारगर्भित रचना हेतु बधाई !!
dhanywaad santoshji
dhanywaad santoshji, sab aap logon ka hi pyaar hai.
bahut utkrisht kavita,kintu kuchh sthanon par maatraa kee galtiyan sundarta ko khandit kar rahi hain,उदाहरनार्थ
मुर्ख नहीं मूर्ख होना चाहिए,
bohot2 shukriya .maine thik kar diya sir, koi our galti ho to jarur batanyen.
Bahaut hi acchi rachna hai. very good
thankyou sir.