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अछूत …!!!

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Hindi Poetry

यहीं कोई  बारह  तेरह  बरस की एक लड़की थी मेरे गाँव की …
भूखे पेट ….. नंगे पाँव की …!
निपट अकेली ..  न सगा  न सहेली
वो और उसकी तन्हाई एक झोपड़े में रहा करते थे …
जबानी नाम तो याद नही ..पर नजरों से सब उसे ‘अछूत’ कहा करते थे …!
इधर उधर से लोगों का बचा खुचा खाती थी …
लोग आम चूसते थे वो गुठलियाँ चबाती थी …!
एक दिन जाने क्या सोचकर उसने एक गुठली झोपडी के पिछवाड़े
जमीन में दबा दी …!!
उस मुरझाये चेहरे को फूल बहुत पसंद थे …
मगर क्यारियों तक जाने वाले सारे रास्ते उसके लिए बंद थे …!
फिर एक दिन एक कुचला फूल उठाकर उसने उसके बीज झोपडी के सामने बो दिए …!!
कहने को तो गाँव मेरा बड़ा ही विद्वान् था ..
पर धर्म का ही ज्ञाता था …मर्म का न ज्ञान था
बड़े बूढों का कभी उसे आशीर्वाद न मिलता था …
मंदिर तो दूर मंदिर का प्रसाद  न मिलता था …!!
फिर एक दिन उस ने बड़ा ”पाप” कर दिया  …
मंदिर के पानी से प्यासे पेट को भर लिया ..
गाँव के सरपंच ने गाँव से निकल जाने का फरमान सुनाया ..सबने हाँ में सर हिलाया ..
इंसानियत ने हद कर दी …उस दिन बड़ी थी सर्दी ..
वो खाली पेट भरे मन से अनजान राह पर चल दी…
फिर एक दिन खबर आयी  …वो गाँव की सरहद पे मरी पायी …!!
आज वो आम की गुठली पेड़ बन चुकी है …
सब उसके रसीले आम बड़े चाव से खाते हैं …और उसकी छाँव में चैन से सो जाते हैं …!!
आज  वो फूलों के बीज क्यारी बन चुके हैं
सब उन फूलों की खुशबू अपने घर ले जाते हैं …
सरपंच की नन्ही पोती भी उन्हें अपने बालों में लगाती है …
और हाँ …कुछ फूल ले जाए जाते हैं मंदिर भी
वहाँ उनकी माला बनाकर भगवान्  को पहनाई जाती है …
”सबको सन्मति दे भगवान्” की आरती गायी जाती है …
और वो अछूत लड़की मंदिर के एक कोने में खड़ी हो मुस्कुराये जाती है ….
बस मुस्कुराये जाती है ……!!!

5 Comments

  1. ankita says:

    aapki kavita aatma ko bhedne wali kavita hai………aasha karti hun aap bht sari kavitayen baatengey bhavishya me.

  2. navin_albela says:

    apka bahut bahut dhanayvad ankita ji…meri puri koshish rahegi ki kavitayon k madhyam se aap sabse judda rahun..

  3. siddhanathsingh says:

    vidambana ka sashakt chitran.samajik chadmrupita aurmanyataaon ke khokhlepan ka uttam chitran.

  4. Vishvnand says:

    sundar, arthpoorn, udbodhak , maarmik aur prabhaavii rachanaa
    bahut man bhaayii
    hardik abhinandan

  5. Prem Kumar Shriwastav says:

    बहुत बहुत ही सुन्दर कविता…दिल छु गई आपकी कविता…बधाई.

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