« छाया युद्धों के योद्धा हैं इनसे मत कुछ आस रखो। | barish » |
घर बेच दूँ ?
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वो कहते हैं मुझसे
कि घर बेच दूँ
वो बगिया वो अंगना ..डगर बेच दूँ
कोई बतलाये मुझको ….जिऊँगा मैं कैसे
जिन्दगी को अपनी अगर बेच दूँ …
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
कि घर बेच दूँ
वो बगिया वो अंगना ..डगर बेच दूँ
कोई बतलाये मुझको ….जिऊँगा मैं कैसे
जिन्दगी को अपनी अगर बेच दूँ …
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
नहीं है ये घर …ईंट गारे का घरबचपन के सपनों का ……है ये नगरकंचे का ताना …लुका छिप्पी की बारीगुल्ली और डंडा फिर किश्ती की सवारीकैसे सपनो का सागर …..सगर बेच दूँवो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
बाबा की लाठी की हुई है खट्खट
भागूं मैं नीटू , कंचे समेटो फटाफट
कहाँ पे कलम है कहाँ है किताबे
कहाँ पे है बस्ता,,माँ ज़रा तू बतादे
बाबा से मुझको बस लगता है डर
कैसे बाबा का वो….. डर बेच दूँ
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
दादी, बुआ, चाची और ताईकभी याद मुझको माँ की ना आई
नहीं है अब भूख बिलकुल भी मैया
चाची ने मुझको लस्सी पिलाई
मक्की की रोटी दादी ने खिला दी
बुआ ने सिलबट्टे की चटनी खिलाई
ममता की कैसे गागर बेच दूँ
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
वो बगिया वो अंगना ..डगर बेच दूँ
कोई बतलाये मुझको ….जिऊँगा मैं कैसे
जिन्दगी को अपनी अगर बेच दूँ …
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
कोई बतलाये मुझको ….जिऊँगा मैं कैसे
जिन्दगी को अपनी अगर बेच दूँ …
वो कहते हैं मुझसे कि घर बेच दूँ
yadon kee potli me zara hath kya pada
mera vazood barson baras tak mahak gaya.
Bahut khuub, achchii see marmik
rachanaa bahut man bhaayii, badhaaii
Aaj hamko apane bachpan kii sab cheezo se pyaar hai, lagaav hai
par har cheez kaa yahaan badalanaa aur bikataa jaanaa tay hai chahe vo aaj hai yaa kal hai….
dil ko choo lenewali is sundar rachna ke kiye badhaai! sach mein ghar sirf int gaare ka nahin hota, yeh toh sabhi yaadon, khwahishon, apnon ke pyaar se ranga hota hai, inki khushboo se mahakata baag hota hai.