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रात भर
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry |
सपनो के रथ पर होकर सवार
उड़ रही थी मै बादलों के पार
सामने खड़ा जो तुम्हे पाया
शर्माये, झट खुले नैनों के द्वार
आँखें फैला फैला के देखा
चहुँ ओर था चांदनी का प्रसार
फिर सपनों के रथ पर चढ़ी ढूंढ़ती
खोजती थी कहाँ छुपा है मेरा प्यार
देखा तो मुस्कुराते खड़े तुम
भर लिया अंक में बाहें पसार
झील में खिल गए मन के कमल
मिलन की प्रबल भावना हुई साकार
बिंदु का सिन्धु में हो रहा विलय
तन मन दोनों हुए एकाकार
बादलों ने तान लीनी झीनी चदरिया
तारें झिलमिलाये रात भर इस प्रकार
ख़्वाबों ही ख़्वाबों में ढल गई रात
न जाने कब हुआ सुबह का उजार
संतोष भाऊवाला
is sundar rachna ke liye
saadar savinay aabhar |
Bahut sundar bhaavanaaye sundar hai shilp achhi rachanaa ke liye badhaai
ati sundar aur prashansaneey
bahut man bhaayii ye aapkii rachanaa
hardik badhaaii
Aadarniy ,kshipra ji ,rajendra sharma ji ,vishvnand ji ,aap sabhi ka aashish mila kritagya hui ,ati shay dhanywaad !
santosh bhauwala