« कभी कभी सोचता हू मै .. | Mood victimizes….! » |
आज भी सबके लबों पर प्यास का आख्यान है।
Anthology 2013 Entries, Hindi Poetry |
आज भी सबके लबों पर प्यास का आख्यान है।
आप को फुर्सत न देता आप का जलपान है।
पेड़ शर्मिन्दा रहा हो देख कर अपनी जड़ें,
हिन्द को hind ( हाइण्ड ) छोड़ा ,खूब हिंदुस्तान है।
जानवर ज्यादा तवक़्क़ो के हुए हक़दार अब,
फिक्र है इंसान की कम,आदमी हैरान है।
भेजते वापस विधाता को है कन्या कोख से,
मानते हर दान से महनीय कन्यादान है।
उस महल में मुद्दतों अपनी न सुनवाई हुई,
जिसमे कहते थे सभी दीवार के भी कान हैं।
मेजबानों में ज़बानों पर न अपनी इत्तेफ़ाक़,
घर का मालिक़ बन गया वो जो महज मेहमान है।
bahut sundar hindi ki gazal hai
meethaa madhur raspaan hai
sadhanyavaad aabhaar.
vaah vaah arthpoorn badhiyaa aur maarmik
Malik bane mehmaan miljul karen apanii susanskrati ka apmaan
chune mantri hii bhrsht chaploos bigaaden desh kii shan hain
mera aashay angrezi aur anya bhartiya bhashaon se tha.