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तुम्हारा क्या कभी दीदार होगा.
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सफ़र क्या ख़त्म आखिरकार होगा.
तुम्हारा क्या कभी दीदार होगा.
मरज तुझसे मुहब्बत है अगर तो ,
ख़ुशी से हर बशर बीमार होगा.
समझता था इसे जाए अमां मैं
खबर क्या थी कि घर बाज़ार होगा.
दख़ल उस दर में मुमकिन ही नहीं है,
जो दुनिया का यूँ दिल पे बार होगा.
बड़ा बेफिक्र था मैं दोस्तों में,
न समझा पीठ पीछे वार होगा.
न हंस हालात पे ऐसे हमारे,
तुझे भी कल किसी से प्यार होगा.
उन्हें खिदमत से कुछ लेना न देना
फ़क़त मक़सूद कोठी कार होगा.
अवाम अब सब सचाई जानती है,
तेरा हरबा हरेक बेकार होगा.
दीवाने ख़ास में सौदा पटेगा,
दीवाने आम में दरबार होगा .
संभल के इस डगर में पाँव रखना
छिपा हर गुल के नीचे खार होगा .
इनायत आप की ले जान लेगी
बिचारा चारागर लाचार होगा.
अरे तिरछी नज़र वाले रहम कर,
वगरना तीर दिल के पार होगा.
शिकस्ता दिल न सदमे सह सकेगा,
अगर फिर दर्द से दो चार होगा.